कैसे लिखूं अफ़साने - गीत - रमाकांत सोनी

कभी नेट साथ नहीं देता, 
कभी सेठ साथ नहीं देता, 
कभी फुर्सत नहीं खुद को,
भागमभाग भरी ज़िंदगी में,
कैसे लिखू अफ़साने।

कभी वक्त बदल जाता है, 
कभी लोग बदल जाते हैं, 
कभी वक्त के साथ बदले हमने,
अपने व्यवहार ज़िंदगी में, 
कैसे लिखूं अफ़साने।

कभी कोई पीछे छूट जाता है,
कभी कोई अपना रूठ जाता है,
कभी कोई सपना टूट जाता है, 
खाकर ठोकरें जमाने में,
कैसे लिखूं अफ़साने।

कोई मुस्कुरा कर चला जाता है,
कोई बहलाकर कर चला जाता है, 
कोई बस जाता है राजदार बन,
सुख दुख का साथी ज़िंदगी में,
कैसे लिखूं अफ़साने।

रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)

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