संदेश
कदम मत बाहर बढ़ा - कविता - अनिल भूषण मिश्र
तू बेवज़ह अपने कदम मत बाहर बढ़ा देख बढ़ता कोरोना का मामला देश चिंता में पड़ा कभी सोचा तुमने कर्मयोगियों की कठिन तपस्या बेबस गरीब कैसे झेल …
निश्छल मन - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
मैं अबोध नादान हूँ तभी तो खुशहाल हूँ, छल, प्रपंच, ईर्ष्या, द्वेष से दूर अपने में मस्त महकती, चहकती हूँ। बस आप सब से विनती है मैं जैसी …
घाव और लगाव - कविता - अमित अग्रवाल
अनजान किसी मोड़ पर किसी अजनबी से जब हो गया लगाव, आखिर तोहफे में मिलना ही था घाव। ये घाव चुभता है हर एक साँस एक कसक बनकर, जैसे ज़िन्दगी …
दीपोत्सव - कविता - डॉ. अवधेश कुमार "अवध"
किसी जगह पर दीप जले अरु कहीं अँधेरी रातें हों । नहीं दिवाली पूर्ण बनेगी, अगर भेद की बातें हों ।। ऐसे व्यंजन नहीं चाहिए, हक ह…
दीपावली - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
तैयारी दीपावली, कोरोना निर्भीत। जान माल परवाह बिन, लिया रोग को जीत।। १।। रखा नियम को ताख पर, क्या माने निर्देश।…
खुशियों वाली दिवाली - कविता - गणपत लाल उदय
सोचा इस बार जरूर जाऊँगा छुट्टी दिवाली मिलेंगे मेरे मित्र, माँ-बाप, बच्चें व घरवाली। जगमग करते दीप जलेंगे शाम होगी निराली सबकी संग में…
शिक्षादीप - कविता - डाॅ. तरुणा सिंह
आओ चलो हौसलों की हमसब शिक्षक अलख जगाए! कोविडकाल में दरवाजे से एक दिया शिक्षा की जलाए!! लघु प्रयासों से ही सही शिक्षा को बच्चों तक लेकर…
त्योहारों का मौसम - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
त्योहारों का मौसम आया सबकी व्यस्तता बढ़ाया, अभी करवा चौथ बीता है, अब धनतेरस, जमघंट के बाद दीवाली की तैयारी है, भैय्या दूज, चित्रगुप्त प…
आओ मनाये खुशियों का पर्व - कविता - आनन्द कुमार "आनन्दम्"
आओ मनाये खुशियों का पर्व, झूमें गायें इसमे सब आओ जलायें उन दियों को, जो वर्षो पहले बूझ चूके थे वजह क्या था, गलती किसकी थी, सारी बातों …
दीप जलेंगे - बाल कविता - मोहम्मद मुमताज़ हसन
आया दीवाली का त्यौहार, दीप जलेंगे मिट्टी के! नहीं चाहिए चीजें विदेशी, अपनाएंगे अब हम स्वदेशी! चाईनीज लाइटों को हटाकर दीप जलेंगे म…
दीप तले अंधेरा ना रहें - कविता - विकाश बैनीवाल
दीप तले अंधेरा ना रहे, सामूहिक सकल दीप जलाओ, यति हररुह त्याग, स्तुति संग माँ लक्ष्मी को नैवेद्य चढ़ाओ। तामसिक प्रवृति ना रहे, प्रत्येक…
दीप मालिका अभिनंदन है - कविता - शिवचरण चौहान
दीप मालिके अभिनंदन है। अभिनंदन, शत शत वंदन है।। ज्योति सदा मंगलकारी हो। तन निरोग हो, बलकारी हो।। जीवन मधुमय सुखकारी हो। धन वैभव पर हित…
फिर मनाएंगे दीवाली - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"
पापा जल्दी ठीक हो जाओ, फिर मनाएंगे दीवाली। घर को जल्दी तुम लौट आओ, फिर मनाएंगे दीवाली। तुम बिन घर सारा सूना है, जैसे हो सब वीराना है। …
जगमग दीप जले - कविता - रमाकांत सोनी
दीपों की सजी है कतार जगमग दीप जले। लक्ष्मी जी आई घर द्वार जन जन फुले फुले धन-धान्य सुख देने वाली दुख दारिद्र को हारने वाली दे वैभव भ…
जलता जाए दीप हमारा - कविता - अनिल मिश्र प्रहरी
मिट्टी के दीपों में भरकर तेल - तरल और बाती, तिमिर-तोम को दूर भगाने को लौ हो लहराती। मिट जाए भू का अँधियारा ज…
कैसे मनेगी आज यह दिवाली? - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
साल भर के अंतराल से फिर आ गई , कोरोना का कहर ले अमा की रात काली । कई घरों के चिराग बूझ गए इस दौर में , बोलो फिर कैसे मनेगी आज यह दिवाल…
पटाखा और पाबंदी - हास्य व्यंग्य लेख - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
पटाखों पर पाबंदी लगना गले की हड्डी वाली बात हो गई है, एक तरफ तो छूट वाला विज्ञापन माइण्डवा में सीकू के आवाज की भांति घूम रहा है। हम और…
कोरोना मुक्त दिवाली - कविता - अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी"
स्वर्णिम आभा दीपों की, फुलझड़ियों की झनकार। लो आ गया ज्योतिअन्तस्तल में, दीपावली का त्यौहार। जो रहा अंधकार धरा में, तो त्यौहार अधू…
धनतेरस बधाईयाँ - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
कवि निकुंज शुभकामना, धनतेरस त्यौहार। तन मन गृह सुख सम्पदा, हो मंगल परिवार।।१।। आलोकित सद्भाव से,अमन शान्ति नित गेह। मन विकार मानस म…
धनतेरस - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
आइए! धनकुबेर के नाम एक दीप जलाते है, कुबेर जी से आशीष पाते हैं। धनतेरस से ही दीवाली पर्व की शुरुआत होती है। आज हम धन कुबेर जी को मनाते…
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