संदेश
बालहठ - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
मर्यादा को लाँघ जाता है बालहठ, उसे बढ़ने दो समय के अनुसार, उन्हें रोक देना जब सीमा का अतिक्रमण हो, उनमें आकाश छूने की चाहत है आपको चा…
आदमी ज़िंदा है - कविता - संजय राजभर 'समित'
मौन रहना– आमंत्रण है शोषण का द्योतक है कायरता का। कभी-कभी एक ग़ुस्सा है एक गंभीर ज्वालामुखी का फटने पर विनाश। कुछ भी हो दोनों में …
कृष्ण होना आसान नहीं किंतु नामुमकिन भी नहीं - लेख - सुनीता भट्ट पैन्यूली
ऐसा क्यों है कि बहुत सारे लोग मुझे जान नहीं पाते हैं?श्रीमद्भगवद्गीता में श्री कृष्ण ने कहा है। ऐसा इसलिए है शायद हम अपनी भौतिकता में…
चलो प्रेम का दिया जलाएँ - कविता - रमाकान्त चौधरी
नफ़रत का अँधियार मिटाएँ, चलो प्रेम का दिया जलाएँ। आग स्वार्थ की लगी हुई है, संवेदना मरी हुई है। कोई किसी का हाल न पूछे, बेगैरत क…
विषय, विचार और कामनाओं से मुक्ति ही स्वतंत्रता है - लेख - आर॰ सी॰ यादव
नीतिगत निर्णय लेना मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। यह एक ऐसी नैसर्गिक प्रतिभा जिसके बिना पर मनुष्य अपने गुण-अवगुण, यश-कीर्ति, हानि-लाभ और …
अपनी खोल से निकलकर - कविता - सूर्य मणि दूबे 'सूर्य'
कभी अपनी खोल से निकलकर, किसी के मन में झाँक कर देखो। किसी के दुख दर्द को, मन की आँखों से आँक कर देखो। उनकी परिस्थितियों में जाकर, एक प…
काँटों से अपनी यारी - कविता - राकेश राही
फूलों से इश्क़ क्या राही काँटों से अपनी यारी, काँटों की चुभन में वफ़ा मोहब्बत से है प्यारी। इश्क़ के बाज़ार में दर्द-ओ-ग़म लेकर खड़े रहे, लु…
नवभोर - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
नवभोर नमन मंगलमय जन, खिले चमन नव प्रगति सुमन। पथ नवल सोच नवशोध सुयश, नवयुवा देश हित भक्ति किरण। कर्म कुशल युवा जन मन भारत, सच्चरि…
क़र्ज़ - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
क़र्ज़ न करियो, क़र्ज़ घटाता है कुटुंब और ख़ुद का मान। उधारी दिन का चैन, रात की नींद खोकर निरुत्तर रहता है इंसान। क़र्ज़ ही तो है जो अच्छे-खा…
चुप रहो - कविता - अमरेश सिंह भदौरिया
यदि सच कहना चाहते हो तो आईने की तरह कहो, वरना चुप रहो। परंपरा परिपाटी का सच, हल्दी वाली घाटी का सच, कुरुक्षेत्र की माटी का सच, या... स…
दिल को गंगा जली बना दो - सरसी छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
दिल को गंगा जली बना दो, तन वृंदावन धाम। घट-घट में अब बसा हुआ है, राधे-राधे नाम।। बिलख रही है सभी गोपियाँ, व्याकुलता का दौर। आस मिलन की…
जल जीवन है इसे बचाएँ - आलेख - डॉ॰ शंकरलाल शास्त्री
अप्सु भेषजम्। जल औषधि है। जल का ही दूसरा नाम जीवन भी है। समूचे विश्व में प्रतिवर्ष विश्व जल दिवस मनाया जाता है। चारों और बड़े-बड़े विज…
लड़कर क्या मिलेगा? - कविता - चंदन कुमार 'अभी'
यह हमारा है वह तुम्हारा, कहकर क्या मिलेगा? एक दूसरे की ताक़त बनों, आपस में लड़कर क्या मिलेगा? समाधान नहीं है रण इसका, रणभूमि में उतड़कर क…
क्या मिलेगा युद्ध से संसार को - ग़ज़ल - प्रवेन्द्र पण्डित
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती : 2122 2122 212 क्या मिलेगा युद्ध से संसार को, रोक लो अब क्रोध के विस्तार को। चाहते हो शत्रु…
आओ हम मतदान करें - कविता - प्रभात पांडे
शिक्षा, दीक्षा और चिकित्सा इनके साधन अब बटे बराबर, असन, वसन, आवास सुलभ हों साँसें पलें न फुटपाथों पर। पूर्ण व्यवस्था बने समुज्ज्वल …
लोकतंत्र का महापर्व - कविता - रमाकान्त चौधरी
अपने मत का उचित प्रयोग करके हमें दिखाना है, लोकतंत्र के महापर्व को मिलकर सफल बनाना है। सरकार बनाने की ख़ातिर हमको ये अधिकार मिला, मत ह…
निभा फ़र्ज़ अपना मनुज - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
क़र्ज़ चुका सब स्वार्थ में, नहीं बड़ा सत्काम। दिया जन्म अस्तित्व जो, पिता मातु सम्मान।। पूत रहे सुख चैन से, मातु पिता नित चाह। हो पूर्ण न…
नशा - कविता - कवि दीपक झा 'राज'
उठ रहा धुँआ जल रहा परिवार, लेकिन मौन बैठकर देख रहा संसार। क्यों जानकर हम बन जाते अनजान, गुटका, खैनी, मदिरा का करते हैं पान। भटके को रा…
जाति-पाँति - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
जाति-पाति में मत उलझो, रहना है हमें हर ठाँव बराबर। सिर के ऊपर सूरज तपता, तो पाँव के नीचे छाँव बराबर। चमड़े का है रंग अलग पर लहू एक जैसा…
समता के वाहक बनो - कविता - गणेश भारद्वाज
मानव तूने भूखंड बाँटे बाँटे सब नदियाँ नाले, मानव को मानव न समझा भ्रम कितने ही मन में पाले। मैं बादल हूँ नील गगन का मुझको बाँटो तो मैं …
विशेष रचनाएँ
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