नवभोर - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

नवभोर नमन मंगलमय जन, 
खिले चमन नव प्रगति सुमन। 
पथ नवल सोच नवशोध सुयश, 
नवयुवा देश हित भक्ति किरण। 

कर्म कुशल युवा जन मन भारत, 
सच्चरित्र ज्ञान पथ उठे क़दम। 
उद्देश्य अटल रोज़गार परक, 
प्रेम न्याय त्याग दिल देश चरम। 

राष्ट्रगान मुदित अनुनाद हृदय, 
अनुसंधान प्रगति मुस्कान अधर। 
अरुणिमा शान्ति सुख ख़ुशी सदय, 
हो मान तिरंगा भाव शिखर। 

हो मानवता सद्भाव हृदय, 
निर्भेद सामाजिक हो उन्नत। 
भू शस्य श्यामला सलिल सरित, 
हरितिम कानन भारत जन्नत। 

लोकमंगल समरस शुभ भारत, 
रवि किरण उषा आनंद जगत। 
हो श्रेष्ठ समादर युव चाहत, 
नार्यशक्ति मान माँ तुल्य सतत। 

अनमोल कीर्ति सत्पथ पौरुष, 
परमार्थ निकेतन हो युवजन। 
निशिकांत कला मन हो कोमल, 
नव शक्ति शौर्य बलिदान वतन। 

नवभोर ज्योति नित नव चिन्तन, 
गुलज़ार समुन्नत जन गण मन। 
हो स्वाभिमान सम्मान वतन, 
संविधान सनातन सद्भावन। 


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