संदेश
गणतंत्र दिवस - कविता - राघवेंद्र सिंह
नव रवि का नव अभ्युदय, था नव राष्ट्र का आवाहन। अरुण बना मधुमय दिवस, संविधान बना जिसका वाहन।। मुक्त हुई यह स्वर्ण धरा, नव पल्लव का हुआ उ…
हमारा गणतंत्र दिवस - कविता - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'
हमारा देश लंबी अंग्रेजी दासता से 15 अगस्त, 1947 को मुक्त हुआ किन्तु फिर भी देश ने अंग्रेजों का अधिनियम ही चल रहा था। 26 जनवरी, 1950 दि…
गणतंत्र दिवस - कविता - सीमा वर्णिका
गणतंत्र दिवस का हुआ आगमन, गूँजायमान हुए धरती और गगन। कोहरे की सर्द चादर सिमट गई, बहने लगी सुखमयी बसंती पवन। भारतवर्ष ने बहत्तर वर्ष पू…
26 जनवरी करती सवाल - कविता - कर्मवीर सिरोवा 'क्रश'
देश में आज ख़ुशी का कोई एक घर ना था, हर ठिकाना लग रहा बिल्कुल लालकिला था। नज़र ने हर सम्त हर छोर हर साहिल तक देखा, आसमाँ तो आसमाँ, ज़मीं …
तुम्हारी ही छाया तले - गीत - जय गुप्ता
है देवो की नगरी, हो व्यास या सबरी। पुराणों की बातें, यहाँ की सगी री। है खाटू यहाँ पे, यहीं पे सुदामा, यहीं पे कोणार्क की है सूर्यनगरी।…
गणतंत्र दिवस हमारा - कविता - रमाकांत सोनी
देश भक्ति में झूमे सारे, मनाए उत्सव मिलकर, गणतंत्र दिवस हमारा, मुस्काए हम खिलकर। हाथों में तिरंगा लेकर, गीत वतन के गाए, आओ आज मिलकर, म…
26 जनवरी अमर रहे - कविता - आशीष कुमार
युगों-युगों तक यह शुभ दिन हर भारतीय को स्मरण रहे, गूँजता रहे फ़िज़ा में नारा 26 जनवरी अमर रहे। गणतंत्र हुआ भारत इस दिन संविधान की ज्योत …
आज़ादी - कविता - पशुपतिनाथ प्रसाद
इस तिरंगा की रक्षा में हम कितने ख़ून बहाएँ हैं, लाखों मस्तक बलिदान हुए तब आज़ादी हम पाएँ हैं। कितनी माँगों का सिंदूर इस आज़ादी में दान हु…
गणतंत्र दिवस - कविता - रतन कुमार अगरवाला
गणतंत्र दिवस का पर्व आया, राष्ट्र ध्वज चारों ओर फहराया, "जन गण मन" गुनगुनाने का, देखो यह पावन दिन आया। 26 जनवरी 1950 का दिन …
भारत के वीर - गीत - विजय कृष्ण
हैं वीरों के भी वीर जहाँ, मैं दृश्य वहीं दिखलाता हूँ। भारत का रहने वाला हूँ, वीरों की बात सुनाता हूँ।। हिंदू मुस्लिम भेद नहीं, सरहद पे…
गणतंत्र दिवस - कविता - नंदिनी लहेजा
चलो तिरंगा फहराएँ बड़ी शान से, गणतंत्र दिवस मनाये अभिमान से। संविधान के बिन स्वतंत्रता थी अधूरी, संविधान के मिलने से हुई फिर। गणतंत्र क…
जनता का तंत्र गणतंत्र - कविता - कवि दीपक झा 'राज'
जनता का जो तंत्र है, वही गणतंत्र है। भेदभाव की जगह नहीं अब, वंशवाद की लहर नहीं अब, जनता ही अब मालिक है, जनता ही सरकार है। जनता का जो त…
सुबह का मुख - कविता - कर्मवीर सिरोवा 'क्रश'
जनवरी की ये भीगी-भीगी शबनमी सहर, ये कड़कड़ाता, ठिठुराता और लुभाता मौसम, ये बहती सर्द और पैनी हवाओं की चुभन, इस पर तिरा ज़िक्र-ए-जमील, ज़ेह…
किताबें - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
किताबें जीवन का राजपथ बताती है प्रच्छन्न लक्ष्य बचाती हैं मृगमरीचिका से मील का प्रस्तर बन इंगित करती हैं गन्तव्य की ओर रुलाती हैं हँसा…
ज़िंदगी का फ़लसफ़ा - कविता - सुनील माहेश्वरी
करी थी हमने भी कोशिश, ज़िंदगी को समझने की, पर असल बात तब जानी, जब अपने ही छोड़ जाने लगे, असल दुःख भी तभी हुआ, और असल सुख भी तभी हुआ, …
कवि निकुंज उद्गार हिय - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सादर प्रमुदित नमन शुभ, हिन्दी वासर विश्व। खिले चमन हिन्दी वतन, रहे मनुज अस्तित्व।। शारद सरसिज सुरभिता, हिन्दी काव्य निकुंज। कीर्ति सुर…
हमारी बेटियाँ - कविता - मनोरंजन भारती
बेटियाँ हमारी आशा है, दुनियाँ है दादी की कहानी की परियाँ है माँ की निशानियाँ है पापा की ख़ुशियाँ है! बेटियाँ हमारी घरती है जो हर दु:ख-द…
ठंड का मौसम यादें तेरी आती बहुत हैं - ग़ज़ल - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ऊलुन तक़ती : 22 22 22 22 22 122 ठंड का मौसम यादें तेरी आती बहुत हैं, तेरी खट्टी-मीठी बातें …
मेरा मन - कविता - आर्तिका श्रीवास्तव
रोशनी की हर एक किरण को भेदता सा मेरा मन, रात के अँधियारे को बस चीरता सा मेरा मन। है नहीं मालूम कैसे चल रही है श्वास यह, इन श्वास की गह…
विधवा - कविता - अवनीत कौर 'दीपाली सोढ़ी'
बदल गया मेरा अस्तित्व जीवन का दीप बुझ सा गया सौभाग्यशाली में नाम था मेरा तुम्हारे जाते, दुर्भाग्यशाली में जुड़ गया तुम्हारा जीवन ख़त्म …
युवा शक्ति - कविता - सीमा वर्णिका
आह्वान कर युवा शक्ति का स्वदेश ने तुम्हे पुकारा है, भूख ग़रीबी भ्रष्टता मिटाना अब संकल्प तुम्हारा है। अदम्य शक्ति को स्मरण कर अपना क़द…
हे पार्थ! सदा आगे बढ़ो तुम - कविता - आशीष कुमार
हे पार्थ! सदा आगे बढ़ो तुम, कर्तव्य पथ पर डटो तुम। मुश्किलों का सामना करो, तूफ़ान के आगे भी अड़ो तुम। हे पार्थ! सदा आगे बढ़ो तुम, कर्तव…
चूर है शीशा-ए-दिल एक नज़र और सही - ग़ज़ल - ज्योत्स्ना मिश्रा 'सना'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन फ़इलुन तक़ती : 2122 1122 1122 112 चूर है शीशा-ए-दिल एक नज़र और सही, इक नया ख़्वाब मिरे दीदा-ए-तर …
कम्बल - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
सर्द के दरमियाँ ये जो कम्बल है, ये तो शीत इलाक़ों का सम्बल है। उफ़ ये ठिठुरती फ़िज़ाएँ! कंपकपाती सर्द घटाएँ! कहीं बारिश, कोरोना, बर्फ़गोले,…
लगता प्यारा ये चाँद है - कविता - डॉ॰ राजेश पुरोहित
आसमान का मोती चाँद है, रजत सा चमके देखो चाँद है। परछाई पानी मे दिखे तो, लगता प्यारा ये चाँद है। नीलगगन में चाँद है प्यारा, संग सितारे …