हमारा गणतंत्र दिवस - कविता - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'

हमारा देश लंबी अंग्रेजी दासता से 15 अगस्त, 1947 को मुक्त हुआ किन्तु फिर भी देश ने अंग्रेजों का अधिनियम ही चल रहा था।
26 जनवरी, 1950 दिन गुरुवार को हमारे देश ने भारतीय संविधान लागू हुआ। इसके बाद ही हमारे देश की पहचान एक गणतंत्र देश के रूप में सारे विश्व में बनी।
गणतंत्र दिवस के रूप में 26 जनवरी को इसलिए चुना गया क्योंकि 26 जनवरी, 1930 को भारतीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज की माँग की थी। अतः उस दिन को याद करने के लिए देश का संविधान 26 जनवरी को लागू किया गया।
इस वर्ष 26 जनवरी 2022 को हमारे गणतंत्र को 73 वर्ष हो रहे हैं अर्थात हम अपना 73वाँ गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। आज़ादी के लिए कितने ही वीरों ने बलिदान दिए लंबी लड़ाई लड़ी गई कितने ही आज़ादी के सिपाही सूली पर लटका दिए गए। हमें देश पर बलिदान हुए उन महापुरुषों के सम्मान और देश के गौरव का सदा सम्मान करते हुए देश की अखंडता और सुरक्षा के लिए सदा समर्पित रहना चाहिए और हमारे संविधान का पूर्ण सम्मान करना चाहिए।
एक छोटी सी कविता के माध्यम से यही आवाहन करना चाहता हूँ:

वह दिल भी क्या दिल है यारों, जिस दिल में किसी का प्यार ना हो।
कोई लक्ष्य ना हो कोई चाह ना हो, किसी चाहत की परवाह ना हो।

है लक्ष्य बिना जीवन सूना, कोई पथ ही नही गर चलने को।
ऐसे जीवन को क्या कहिए, कोई चाह नहीं हो पाने को।।

जिस मिट्टी से तन का नाता, उस मातृभूमि से प्रेम करो।
निज देश धर्म की रक्षा में, कोई नया मार्ग सृजन कर लो।।

अपने इस नश्वर जीवन को, निज देश के हित क़ुर्बान करो।
जो मानवता के शत्रु हैं, उनमें मानवता का ज्ञान भरो।।

कुछ पथिक भटकते हैं पथ से, कुछ को भटकाया जाता है।
वे सत्य भुला यह देते हैं, मानव का उनसे नाता है।।

कुछ मासूमों की राह सत्य के, मार्ग में प्रशस्त करो।
जिस मिटी से तन का नाता, उस मातृभूमि से प्रेम करो।।

नृपेंन्द्र शर्मा 'सागर' - मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश)

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