हैं वीरों के भी वीर जहाँ, मैं दृश्य वहीं दिखलाता हूँ।
भारत का रहने वाला हूँ, वीरों की बात सुनाता हूँ।।
हिंदू मुस्लिम भेद नहीं, सरहद पे सभी संग रहते हैं।
दुश्मन के पैर न बढ़ पाए, सो चाक-चौबंद सब रहते है।।
परिवार से अपने दूर है वो, मैं घर पे समय बिताता हूँ।
भारत का रहने वाला हूँ, वीरों की बात सुनाता हूँ।।
शांति की मूरत हैं सब और सत्य की राह पे चलते हैं।
दुश्मन जब ललकारे तो ये, भयंकर आग उगलते हैं।।
जागते हैं जब आठों पहर, तब चैन की नींद मैं सोता हूँ।
भारत का रहने वाला हूँ, वीरों की बात सुनाता हूँ।।
एक अकेले हो तब भी ये पीठ नहीं दिखलाते हैं।
लाज देश की बची रहे, सीने पे गोली खाते हैं।।
तिरंगे पे लिपटे शव को देख, मैं अश्रु नहीं रोक पाता हूँ।
भारत का रहने वाला हूँ, वीरों की बात सुनाता हूँ।।
विजय कृष्ण - पटना (बिहार)