तुम्हारी ही छाया तले - गीत - जय गुप्ता

है देवो की नगरी,
हो व्यास या सबरी।
पुराणों की बातें,
यहाँ की सगी री।
है खाटू यहाँ पे, यहीं पे सुदामा,
यहीं पे कोणार्क की है सूर्यनगरी।
यहीं से है राम, यहीं से है सीता,
है श्याम यहाँ से, यहीं से है गीता।
तुम्हारी ही छाया तले, 
भारत माता हम है पले।

है धरती ये पावन,
हो पतझड़ या सावन।
गुलों की महकती,
कली मन-भावन।
है काशी यहीं पे यहीं पे है जामा,
यहीं पे नदी है वो गंगा सी पावन।
है नज़्म यहीं से यहीं से है ग़ज़ले,
यहीं से है ग़ालिब और हैं उनकी नस्ले।
तुम्हारी ही छाया तले,
भारत माता हम है पले।

है सोने की चिड़िया,
अवध हो या बलिया।
है प्रचलित जहाँ में,
यहाँ की रसोइया।
है राधा यहाँ पे, यहीं पे है मीरा,
यहीं पे है मुरलीधर कृष्ण कन्हैया।
माँ यशोदा यहाँ पे, यहीं पे कौशल्या,
है झाँसी की रानी, यहीं पे अहिल्या।
तुम्हारी ही छाया तले,
भारत माता हम है पले।

जय गुप्ता - मसौली भूलीगंज, बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)

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