चला बटोही - कविता - मुकेश 'आज़ाद'

चला बटोही - कविता - मुकेश 'आज़ाद' | Prerak Kavita - Chala Batohi - Mukesh Aazad | Hindi Motivational Poem. हिंदी प्रेरक कविता
दिन निकला और चला बटोही 
पाने अपनी राह को 
धूप तेज़ पर बढ़ा बटोही
रखने पाँव, छाँव को 
वो रुका नहीं, वो थका नहीं
वो झुका नहीं, वो मिटा नहीं
उम्मीदों का बोझ लिए
दिन निकला और चला बटोही
पाने अपनी राह को।

वो छोड़ चला, रोते मुखड़े अपनो के
वो बढ़ चला, वो भाग चला 
पीछे अपने सपनो के 
हालातो का नाम लिए 
दिन निकला और चला बटोही
पाने अपनी राह को।

योद्धा बन वो लड़ गया 
और काँटो पर भी चल गया 
वो हारा नहीं, वो मरा नहीं
आस जीत की खोया नहीं
लक्ष्य आख़िर पाया वही।

जीत का आनंद उर लिए 
दिन निकला और चला बटोही 
पाने अपनी राह को।

मुकेश 'आज़ाद' - उदयपुर (राजस्थान)

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