अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ऊलुन
तक़ती : 22 22 22 22 22 122
ठंड का मौसम यादें तेरी आती बहुत हैं,
तेरी खट्टी-मीठी बातें सुनाती बहुत हैं।
दिल को मेरे तेरी बहकी अदाएँ,
बहका के मन भरमाती बहुत है।
अठखेलियाँ तेरे अल्लढ हैं पन की,
तन-मन व दिल को झुलाती बहुत हैं।
बच्चों की अम्मा व पोतों की दादी,
वे पुरानी अदाएँ सताती बहुत हैं।
काले काले नैंना, मन मोहनि सूरति,
तेरे खेल-खेला खिलाती बहुत हैं।
आतीं हैं यादें 'बेधड़क' सपनों में,
नींदों में झूला झूलातीं बहुत हैं।
भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क' - लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश)