संदेश
हैप्पी न्यू ईयर - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
टू थाउजन ट्वेंटी टू, टू थाउजन ट्वेंटी टू। हैप्पी हैप्पी ईयर न्यू हैप्पी हैप्पी ईयर न्यू 2 बस ख़ुशबू ही ख़ुशबू बिखरे, सब को मन का मीत मिल…
नव वर्ष अभिनंदन - कविता - गणपत लाल उदय
ख़ुशियाँ लेकर आया अब प्यारा नूतन वर्ष, झूमो-नाचो, गाओ सभी मनाओ यारों हर्ष। अब बीत गया वह वर्ष बनाया जिसने नर्क, सुख का हुआ आगमन करो स्व…
नव वर्ष - गीत - भगवत पटेल 'मुल्क मंजरी'
बीत गया वो साल पुराना जिसमें थी अंधियारी। कोहराम मचा था हर कोने में दिन लगते थे भारी।। पतझड़ जब आता है तो, बसंत का होता आना। बसंत अप…
नव वर्ष का अभिनंदन - कविता - आशीष कुमार
हर्षोल्लास से सराबोर हुआ भारतवर्ष का कण-कण, शुभ मंगलमय नव वर्ष का अभिनंदन! अभिनंदन! गीत-संगीत से गूँजे उठा सुरम्य मधुर वातावरण, रंग बि…
चाँद-तारे दे रहे बधाईयाँ - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
नव वर्ष में चाँद-तारे दे रहे बधाईयाँ। प्रात कपासी हुई तो दिन सुनहरे हों। घर-आँगन में ख़ुशी के ही ककहरे हों।। बात करें गुपचुप-गुपचुप ऊन …
नव वर्ष का संदेश - कविता - शीतल शैलेन्द्र 'देवयानी'
नव वर्ष का संदेश! लेखक देता है कुछ इस प्रकार, ख़ुश रहो तुम ख़ूब मुस्कुराओ। लेखनी पर अपनी धार करके तुम एक सबल (शब्दों से) सफल हथियार बनाओ…
नव वर्ष - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता'
नव भोर संग नववर्ष आया, ख़ुशियों की सौग़ात है लाया। नव उमंग नव तरंगों संग, हर्ष उल्लास चहुँओर महका। फैली पूर्व में लालिमा, सुप्रभात खग वृ…
सन् 2022 - कविता - रतन कुमार अगरवाला
सन् 2022 का होगा आग़ाज़, होगा शुरू एक नया सफ़र, नई उड़ान का होगा अंदाज़, होगा नई आशाओं का मंज़र। बढ़ेंगे क़दम फिर मंज़िल की ओर, नवचेतना का होगा…
नया साल - कविता - मुरारी राय 'गप्पी'
जाने वाले को जाने दो, आने वाली को आने दो, रात ग़म की बीत गई, क़दमों को बढ़ने दो, पट खोलो, नव विभोर को होने दो, बाहर तो माया है, अंदर न र…
दिसंबर - कविता - प्रियंका चौधरी परलीका
दिसंबर सरपट भाग रहा है अपनी मंज़िल की तरफ़ मैं रोकना चाहती हूँ आवाज़ देना चाहती हूँ कुछ दिन और बिताना चाहती हूँ फिर भी वो जाना चाहता ह…
ग़लतफ़हमी - गीत - संजय राजभर 'समित'
सुन रे! सखी कैसे बताऊँ? बैठी हूँ मैं उलझन में। दिन तो कहा-सुनी में बीता, रात कटी है अनबन में। कैसे करूँ चैटिंग किसी से, रोज़-रोज़ शक क…
प्रकृति का अनोखा अवतार - कविता - प्रतिभा नायक
भोर भई भानु चढ़ आए नीले अनन्त आकाश पर सूर्य की ललित लालिमा प्रभात गीत गाए गगन पर। चढ़े सूरज सीस पर धूप चुभती चटक सूई सी शूल समान दिनकर…
कोहरा - कविता - अमरेश सिंह भदौरिया
कोहरा बहुत घना है। कोहरा बहुत घना है। दूर हुई सूरज से लाली, रश्मियों ने ख़ामोशी पाली, सर्द हुई मौसम की राते, घोसले में पंछी घबराते, ज…
अजेय योद्धा - हरियाणवी रागनी (लोकगीत) - समुन्द्र सिंह पंवार
अजेय योद्धा कहती दुनिया सूरजमल महाराज तनै, जाट सुरमा युगों-युगों तक पूजै जाट समाज तनै। 13 फरवरी, 1707 का बड़ा पवित्र दिन था, देवकी माँ …
परिवर्तन जीवन कला - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सबको शुभ प्रातर्नमन, मंगल हो शुभकाम। हर्षित पौरुष जन धरा, भक्ति प्रीति हरि नाम।। हरित ललित कुसुमित प्रकृति, निर्मल भू संसार। सज पादप प…
शिव हमारे आराध्य - कविता - शक्ति श्रीवास्तव
ओमकार का स्वर है फैला शिव नभ के हर द्वारे में, ओम शब्द की ध्वनि है गूँजी दुख के इस अँधियारे में। अंग-अंग है तृप्त हुआ, मन का भ्रम भी ल…
रूठे यार को मनाऊँ कैसे? - कविता - अंकुर सिंह
रूठे को मैं कैसे मनाऊँ? होती जिनसे बात नहीं, यादों में मैं उनके तड़पू, उनको मेरा ख़्याल नहीं। कोई जाकर उन्हें बता दें, उनके प्रेम में ह…
वास्तविक जीवन - कविता - खैलेश सन्नाडय
मैंने परित्याग कर दिया है वो सारे कर्म, जिसका क्रियान्वयन तुम्हें अच्छा लगता है। मैं सम्मान करता हूँ उन सभी जीव-जंतुओं का, जो तुम्हारे…
अग्निवृष्टि - कविता - मयंक द्विवेदी
रवि की प्रथम रश्मि, रश्मिकर, कर नव सृष्टि। उठा, जगा पुरुषत्व को, दुर्बलता पर कर, अग्निवृष्टि। सामने हो मृग मरीचिका, खींच हाथ में प्रत्…
तुम आई ना तुम्हारा ख़्वाब आया - ग़ज़ल - एल॰ सी॰ जैदिया 'जैदि'
अरकान : मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ेलुन तक़ती : 1222 1222 22 तुम आई ना तुम्हारा ख़्वाब आया, याद मे तेरी अश्क बे'हिसाब आया। ज़िंदगी ने हमसे …
शीशम-सागौन - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
घर-घर पहचाने है शीशम-सागौन! महिमा है इनकी भी कुछ कम नही! इमारती लकड़ी है बेदम नही! भोर उठी कर रही नीम का दातौन! होता है पेड़ से स्वच्छ…
रूह - कविता - नंदिनी लहेजा
मैं अजर हूँ मैं अमर हूँ, जीवन मृत्यु से परे हूँ। रहती हूँ प्राणी के तन में, दिए में लौ की तरह। काया की मैं साथी हूँ, जो देती उसको जीवन…
पतंग - बाल कविता - डॉ॰ राजेश पुरोहित
आदमी की ज़िंदगी पतंग सी कभी रंग बिरंगी चमकती, डोर कट जाए रिश्तों की तो न जाने कहाँ-कहाँ भटकती। लक्ष्य को पाने ऊँचाइयाँ छू लेती कभी हिचक…
शिशिर ऋतु - कविता - शुचि गुप्ता
चुम्बन गगन करे धरा, वीणा मधुर बजी, मृदु धूप में निखर नहा, दुल्हन प्रभा सजी। बन मीत प्रेम ऋतु शिशिर, है पालकी लिए, शुभ आगमन अनंग रति, र…
नव वर्ष: स्वागत और विदाई - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
आइए हँसी ख़ुशी विदा करें दो हज़ार इक्कीस, न ईर्ष्या द्वेष नफ़रत करें, न कोई शिकवा शिकायत करें, जो बीत गया उसे लौटा नहीं सकते फिर जाते हुए…