नव वर्ष - गीत - भगवत पटेल 'मुल्क मंजरी'

बीत गया वो साल पुराना 
जिसमें थी अंधियारी।
कोहराम मचा था हर कोने में
दिन लगते थे भारी।।
पतझड़ जब आता है तो, 
बसंत का होता आना।
बसंत अपना नया साल है
पतझड़ साल पुराना।।
आशा के दीप जलाकर ख़ुशी मनाया करते हैं।
आओ हम सब नव वर्ष का स्वागत करते हैं।।

बीते साल में खोया ज़्यादा
कम हमने है पाया।
कई हमको छोड़ गए,
ख़ूब रही तेरी माया। 
शांति रहे चहुँओर प्रभु जी,
सुन लो अर्ज़ हमारी।
ख़ुशहाली हरदम बनी रहे,
नहीं रहे लाचारी।।
जीत जाएँगे हर मुश्किल से फिर क्यों डरते हैं।
आओ हम सब नव वर्ष का स्वागत करते हैं।।

कोरोना न आए प्रभु जी
इस को दूर भगा दो।
देश दुनियाँ से दूर करो
इसको आज मिटा दो।।
आये न कोई अब महामारी,
सब बने रहे ख़ुशहाल।
हरी भरी रहे धरा हमारी,
कर दे एक कमाल।।
दिन, हफ़्ते और साल महीने सब आते रहते है।
आओ हम सब नव वर्ष का स्वागत करते हैं।।

भगवत पटेल 'मुल्क मंजरी' - जालौन (उत्तर प्रदेश)

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