रूठे यार को मनाऊँ कैसे? - कविता - अंकुर सिंह

रूठे को मैं कैसे मनाऊँ?
होती जिनसे बात नहीं,
यादों में मैं उनके तड़पू,
उनको मेरा ख़्याल नहीं।

कोई जाकर उन्हें बता दें,
उनके प्रेम में हम खोए है।
भेजे पुराने संदेश पढ़कर,
रात-रात भर हम रोए है।

कोई बता दें कैसे मना लूँ?
होती जिनसे अब बात नहीं।
सच्चा प्रेम करता मैं उनसे,
भले उन्हें मेरा ख़्याल नहीं।

कोई ख़बर उन्हें ये कर दें,
मुझपे वो एक रहम कर दें।
सुन ले मेरे दिल की बात,
मुझपर ऐसा तरस कर दें।

बिन किए दिल की बात,
दिल का हाल बताऊँ कैसे?
कोई तो इतना मुझे बता दें,
रूठे इस यार को मनाऊँ कैसे?

रूठना पर मुझसे बातें करना,
छोड़ मुझको तुम मत जाना।
था उनसे मेरा कुछ ऐसा वादा,
थोड़ा सता फिर वापस आना।।

कोई तो उनसे ये जाकर पूछे,
आख़िर मैं प्यार बताऊँ कैसे?
जिस यार की चाहत हैं दिल में,
उस रूठे यार को मनाऊँ कैसे?

अंकुर सिंह - चंदवक, जौनपुर (उत्तर प्रदेश)

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