नव वर्ष का संदेश - कविता - शीतल शैलेन्द्र 'देवयानी'

नव वर्ष का संदेश!
लेखक देता है कुछ इस प्रकार,
ख़ुश रहो तुम ख़ूब मुस्कुराओ।
लेखनी पर अपनी धार करके तुम
एक सबल (शब्दों से) सफल हथियार बनाओ, 
प्रबल करो! तुम संवेदना शक्ति,
अपनी सोचने की तुम उम्र बढ़ाओ। 
सफल और सबल बनो तुम अपने सुद्रढ़ विचारों से, 
ना कमज़ोंर अपने आप को बनाओ।
नया वर्ष है, नए विचार हैं,
नया विवेक और नए ही भाव हैं। 
संस्कार नए हैं कर्तव्य नए
कर, तू कर, जीवन में अपने
नए पथ का आगमन।
नए वर्ष में बोध करो तुम,
अपने उज्ज्वल भविष्य का।
नई राहे, नया जीवन हो, 
जीवन का हर पल नया हो, 
भूल पुरानी यादों को तुम 
नई-नई राहों का आह्वान करो,
छोड़ो पुरानी उन्हें जंग लगी
ख़ामोश बेरहम यादों को।
चल उठ आज हम नमन करें, 
नए वर्ष के तारों को।
भोर नई, नया उजाला 
आवाज़ देता, है तुम्हें, 
ना कोरोना का दंश हो इस वर्ष में, 
ना मायूसी की ही कोई छाया हो। 
लेखक देता है आदर्शवादी तुम्हें 
कल से तुम्हारे जीवन के नए युग का,
शुभ शुभ आरंभ हो।

शीतल शैलेन्द्र 'देवयानी' - इन्दौर (मध्यप्रदेश)

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