नव वर्ष - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता'

नव भोर संग नववर्ष आया,
ख़ुशियों की सौग़ात है लाया।

नव उमंग नव तरंगों संग,
हर्ष उल्लास चहुँओर महका।

फैली पूर्व में लालिमा,
सुप्रभात खग वृंद है चहका।

सुखदायी रवि किरण संग,
नव कली ने ली अँगड़ाई।

हो पुष्पित वन उपवन,
मंद-मंद बयार है गहराई।

आओं मिलकर ऐसा प्रण धरें,
स्वदेश हित में निज काज करें।

छल-कपट झूठ-पाखंड से दूर रहे,
ना द्वेष ईर्ष्या का आपस में दंभ भरें।

जात-पात का भेद मिटाकर,
सहर्ष सबको गले लगाएँ।

अखण्ड राष्ट्र एकता का,
गीत हमसब मिलकर गाएँ।

होगा तब नया जोश नया उल्लास,
ख़ुशियों का फैलेगा स्वतः उजास।

करें अभिनंदन नूतन वर्ष तुम्हारा,
हर सुबह ख़ुशियों भरा हो नज़ारा।

महेंद्र सिंह कटारिया 'विजेता' - गुहाला, सीकर (राजस्थान)

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