चाँद-तारे दे रहे बधाईयाँ - नवगीत - अविनाश ब्यौहार

नव वर्ष में
चाँद-तारे
दे रहे बधाईयाँ।

प्रात कपासी हुई तो
दिन सुनहरे हों।
घर-आँगन में ख़ुशी
के ही ककहरे हों।।

बात करें
गुपचुप-गुपचुप
ऊन से सलाईंयाँ।

जैसे दिशा-दिशा
मस्ती में डूबी हो।
और आठों पहर की
ख़ुद में ख़ूबी हो।।

ख़ुशबू सी
महकतीं हैं
पेड़ की परछाईंयाँ।

जलसे में डूबा हो
प्रदेश का अवाम।
फूलों की देह
छलके गंधों के जाम।।

दूब सी
नाज़ुक लगे हैं
धूप की कलाईंयाँ।

अविनाश ब्यौहार - जबलपुर (मध्य प्रदेश)

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