अजेय योद्धा - हरियाणवी रागनी (लोकगीत) - समुन्द्र सिंह पंवार

अजेय योद्धा कहती दुनिया सूरजमल महाराज तनै,
जाट सुरमा युगों-युगों तक पूजै जाट समाज तनै।

13 फरवरी, 1707 का बड़ा पवित्र दिन था,
देवकी माँ के गर्भ से उस दिन जन्म जाट रत्न था।
बणकै पिता बदन सिंह वो होरया घणा मगन था,
पुत्र होण की ख़ुशी में उसनै ख़ूब लुटाया धन था।
श्री भाव सिंह के कुल में कर दिया, ख़ुशियों का आग़ाज़ तनै।।

आचार्य श्री सोमनाथ से शिक्षा तुमने पाई थी,
कूटनीति और दूरदर्शिता नस-नस में तेरै समाई थी।
सात फुट और दो इंच की योध्या तेरी लम्बाई थी,
तेरी आँख और मूंछां नै बैरी की नींद उड़ाई थी।
मराठे और मुगलां की करी बिलकुल बन्द आवाज़ तनै।।

लालकिले पै जा कै तनै यो भगवा ध्वज फहराया,
कोय माई का लाल तनै जंग मै हरा ना पाया।
हिन्दू धर्म और जाटां का तनै जग में मान बढ़ाया,
हिन्दू-ह्रदय सम्राट और तु  ब्रजराज कहलाया।
दीन-दुखी और अबला की, सदा राखी या लाज तनै।।

कहाँ तक करुँ बड़ाई तेरी शब्द नहीं मेरे पास में,
स्वर्ण-अक्षरों में नाम तेरा लिखा गया इतिहास में।
तेरी वीरता के क़िस्से रहे गूँज धरा आकाश में,
समुन्दर सिंह कहै वीरों की गाथा गाऊँ बारा मास में।
भरतपुर में कई वर्ष तक, करया था यो राज तनै।।

समुन्द्र सिंह पंवार - रोहतक (हरियाणा)

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