शीशम-सागौन - नवगीत - अविनाश ब्यौहार

घर-घर पहचाने है
शीशम-सागौन!

महिमा है इनकी भी
कुछ कम नही!
इमारती लकड़ी है
बेदम नही!

भोर उठी कर रही
नीम का दातौन!

होता है पेड़ से
स्वच्छ परिवेश!
मौसम बदलेगा
बार-बार भेष!

सभी फूल फूले हैं
बिरला जासौन!

अविनाश ब्यौहार - जबलपुर (मध्य प्रदेश)

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