नव वर्ष अभिनंदन - कविता - गणपत लाल उदय

ख़ुशियाँ लेकर आया अब प्यारा नूतन वर्ष,
झूमो-नाचो, गाओ सभी मनाओ यारों हर्ष।
अब बीत गया वह वर्ष बनाया जिसने नर्क,
सुख का हुआ आगमन करो स्वागतम् वर्ष।।

अभिनंदन है अभिनंदन नववर्ष अभिनंदन,
महकें यह सारा जहाँ हम सब करतें वंदन।
बीत गया जो बीत गया ‌न करें कोई मंथन,
ध्यान ईश्वर का करो लगाओ तिलक चंदन।।

सबके लिए सुहानी निकली प्यारी सी धूप,
प्रकृति भी हर्षाई देखकर आज यह रूप‌।
दु:ख-सुख आते जाते है इसका यह काम,
ठान ले यह पक्का इरादा बदल दे स्वरुप।।

अन्धकार अब छट गया है आलस्य त्यागो,
सुबह प्यारी धूप निकली अब सभी जागो।
नया सौन्दर्य, नया जीवन ख़ुशहाली लाया,
अभिनन्दन है नूतन वर्ष का समृद्धि लाया।।

जिसको समझ बैठे थे हम सभी ऐसी हार,
अब नव वर्ष लाया हम सबके लिए बहार।
मैनें भी वह पल देखा जब सूना था संसार,
छोड़ो वे बीती हुई बातें कोरोना का प्रहार।।

गणपत लाल उदय - अजमेर (राजस्थान)

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