प्रकृति का अनोखा अवतार - कविता - प्रतिभा नायक

भोर भई भानु चढ़ आए
नीले अनन्त आकाश पर
सूर्य की ललित लालिमा
प्रभात गीत गाए गगन पर।

चढ़े सूरज सीस पर
धूप चुभती चटक सूई सी
शूल समान दिनकर
छाँव-छाँव की आस पर
दिवस का दुसरा प्रहर।

नीशा नभ को घेरे
चाँद चमके गगन‌ पर
तारों की तान सुन
संसार शयन पर
दिखाए साक्ष्वत स्वप्न सजाकर।

सृष्टि सृजित सौंदर्य अपार
सूर्य चंद्र सदैव साकार
प्रतिदिन प्रकृति का अनोखा
अवतार...
जन-जन को देता संदेश अपार
डटे रहें न हार मानकर...
अटल, अडिग जीवन पटल पर।

प्रतिभा नायक - मुम्बई (महाराष्ट्र)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos