संदेश
बचपन - कविता - डॉ॰ उदय शंकर अवस्थी
कभी रूठ के तेरा जाना मुस्कुराना आना फिर पलट के हँसना खिलखिलाना और मचलना रोना आँसू बहाना कभी मीठी न्यारी प्यारी बातों से मन को गुदगुदान…
तन्हा ग़ज़ल - ग़ज़ल - समीर द्विवेदी नितान्त
अरकान : फ़ेलुन फ़अल तक़ती : 22 12 तन्हा ग़ज़ल, कितनी विकल। वीराँ महल, क़िस्मत का फल। दस्तूर से, यूँ मत निकल। दुनिया नहीं, ख़ुद को बदल। ख़ुद स…
पहन लिए नए-नवेले कपड़े फिर से - कविता - अशोक बाबू माहौर
और ये पेड़ों की हरी भरी पत्तियाँ झूमने लगीं बाग बग़ीचे फूल अनेक रंग बिरंगे महक उठे भँवरे तितलियाँ मँडराने लगे, गाने लगीं हरित घास नए पु…
छवि (भाग १२) - कविता - डॉ॰ ममता बनर्जी 'मंजरी'
(१२) हे पार्थ प्रतिम! तुम देख रहे जो, वही सत्य है जान लो। आश्चर्यचकित मत हो प्यारे, तत्व-ज्ञान संज्ञान लो।। परम् धाम मैं अखिल विश्व का…
स्वच्छता - कविता - विनय विश्वा
पेड़-पौधे, जीव-जन्तु इन सबमें है एक प्राणी बड़ा मानव है जिसका नाम पड़ा। विविध आयामो को लेकर पेड़ मानव से बोला स्वच्छता का मैं सबसे बड़ा सिम…
गीत-ओ-नज़्में लिख उन्हें याद करते हैं - ग़ज़ल - अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श'
अरकान : फ़ाइलुन फ़ाईलुन फ़ेलुन फ़ेल फ़ाईलुन तक़ती : 212 222 22 21 222 गीत-ओ-नज़्में लिख उन्हें याद करते हैं, चाय की सोहबत में दिल को शाद करते…
श्राद्ध व तर्पण - कविता - सीमा वर्णिका
माह भादप्रद पितृपक्ष काल, श्राद्ध तर्पण करते हर साल। स्वपूर्वजों का ऋण चुकाते, सद्कर्मों से काटे पाप जाल।। श्रद्धा भाव से जन करते तर्…
गौरैया के अंडे - कविता - अभिषेक मिश्रा
गौरैया के नीले अंडे इनमे छिपी हुई नन्ही से सी जान बड़े दिनों बाद शायद मुद्दतों बाद, उस चिड़िया ने सहेज का रखे थे ऊँचे अटारी पर इस उम्…
प्यासी है प्यास - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
है अथाह जलराशि प्यासी है प्यास। ज्वार भाटा सौंदर्य है सागर का। दुःख सुनता कौन छूछी गागर का।। नखत हैं फिर भी सूना सा आकाश। चक्षु में आँ…
तलाश - कविता - अर्चना कोहली
हताशा से दिल क्यों भारी है, निराशा से क्यों की यारी है। क्यों खोया है तुमने आस को, क्यों इच्छा अपनी मारी है।। पता नहीं कौन-सी उलझन है,…
विनती प्रभु स्वीकार करो - मानव छंद - डॉ॰ आदेश कुमार गुप्ता पंकज
शरण आप की आया हूँ। साथ न कुछ भी लाया हूँ।। विनती प्रभु स्वीकार करो। शीश पर अपना हाथ धरो।। मैं अज्ञानी ज्ञान नहीं। भूलों का है भान नहीं…
विरह की अग्नि - कविता - भारमल गर्ग
बिंदी माथे पे सजाकर कर लिया सोलह शृंगार। प्राणप्रिय आपकी राह में बिछाई पुष्प वह पगार।। शय्या पर भी चुनट पड़ी बोले सारी-सारी रात। नींद …
रिश्ते - कविता - आदेश आर्य 'बसन्त'
दौलत से रिश्तो को तौल कर, क्या कोई ख़ुश रह पाया है। रिश्तो में ही है ख़ुशियाँ सारी, रिश्तो में ही संसार समाया है। कुछ बाहर के लोगों क…
मेरी नन्हीं दुनिया - कविता - सुनील माहेश्वरी
जहाँ जन्म हुआ उन यादों को कैसे भूल जाएँ, जहाँ बीता बचपन मेरा उस ख़्वाबगाह को क्यों भूल जाएँ। मिट्टी के घरौंदे बचपन की मस्ती थी सबस…
बेटियाँ - कविता - वर्षा अग्रवाल
पायल की झंकार बेटियाँ, होती बड़ी समझदार बेटियाँ, माँ-बाप को करती सहयोग, कभी ना करती है उनका विरोध, ख़्वाहिशों को दिल में रखती, दर्द दिल…
चलो बचाएँ नदी हम - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
जल जीवन अनमोल है, गिरि पयोद नद बन्धु। तरसे नदियाँ जल बिना, जो जीवन रस सिन्धु।। नदियों का पानी विमल, है जीवन वरदान। पूज्य सदा होतीं जग…
हमारे पूर्वज - कविता - रमाकांत सोनी
परिवार की नींव है पूर्वज, संस्कारों के दाता है। वटवृक्ष की छाँव सलोनी, बगिया को महकाता है। सुख समृद्धि जिनके दम से, घर में ख़ुशियाँ आ…
इतना मत इतराता चल - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा तक़ती : 22 22 22 2 इतना मत इतराता चल, आँख नहीं मटकाता चल। जो करना है आज करें, काम नहीं टरकाता चल। सेवा-…
रह जाती है सूनी डाली - कविता - राघवेंद्र सिंह
जिस दिन एक फूल जुदा होगा, उस डाली का फिर क्या होगा। था सींचा जिसने दिन रात उसे, उस माली का फिर क्या होगा। जिस दिन आई होगी आंँधी, वह डा…
इसी का नाम जीना है - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
आशा मत छोड़ना इसी का नाम जीना है। हार से निराश नहीं होना इसी का नाम जीना है। यात्रा लम्बी हो कंटकमय पंथ हो ऊबड़-खाबड़ जलमग्न हो चलते ज…
जीने की राह - कविता - गोपाल जी वर्मा
धरा पर पाँव है, और उपर आकाश है, तुम्ही बताओ तुमको किस कमी का एहसास है। पक्षी करते नही धन सँग्रह, पशु जमा नहीं करते कोई धन। कल की चिं…
परदेश आगमन - गीत - अभिनव मिश्र 'अदम्य'
हमे लखन सा वनवासी बन, घर से दूर बहुत जाना है, तुम्हे उर्मिला बनकर मेरी अवधपुरी में रहना होगा। मेरे जाने का वह पल भी कितना हृदयविदारक ह…
घट - दोहा छंद - महेन्द्र सिंह राज
घट है माटी से बना, लगा अल्प सा दाम। लू में शीतल वारि दे, आता बहुतों काम।। घट-घट में भगवान हैं, जीव जीव में जान। हर प्राणी भगवान का…
धन के सँग सम्मान बँटेगा - कविता - अंकुर सिंह
धन दौलत के लालच में, भाई भाई से युद्ध छिड़ा है। भूल के सगे रिश्ते नातों को, भाई-भाई से स्वतः भिडा़ है।। एक ही माँ की दो औलादें, नंगी ख…
जीवन के रंग - कविता - ऋचा तिवारी
जीवन की तेरी नैया में, कितने ही थपेड़े आ जाए। पर कोशिश करना केवल तुम, लहरों से कभी न घबराए। ये हार जीत का खेल सदा, जीवन में हर पल आएगा…