गीत-ओ-नज़्में लिख उन्हें याद करते हैं - ग़ज़ल - अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श'

अरकान : फ़ाइलुन फ़ाईलुन फ़ेलुन फ़ेल फ़ाईलुन
तक़ती : 212 222 22 21 222

गीत-ओ-नज़्में लिख उन्हें याद करते हैं,
चाय की सोहबत में दिल को शाद करते हैं।

इस शब-ए-ग़म में क्या हम शब-ज़ाद करते हैं,
बस सुबह तक ताब-ए-ग़म ईज़ाद करते हैं।

ख़ुद-कलामी की आदत हम को हुई जब से,
तब से बस तन्हाई पर बेदाद करते हैं।

बढ़ रही है जितनी मीआद-ए-सितम दिल में,
और भी हम ग़ज़लों को नौशाद करते हैं।

अर्श तुम भी तो जानो क्या क्या मुहब्बत में,
हीर-राँझा-ओ-शीरीं-फ़रहाद करते हैं।

अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श' - चन्दौली, सीतामढ़ी (बिहार)

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