इतना मत इतराता चल - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता

अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा
तक़ती : 22  22  22  2

इतना मत इतराता चल,
आँख नहीं मटकाता चल।

जो करना है आज करें,
काम नहीं टरकाता चल।

सेवा-पानी पूजा से,
धंधा भी चमकाता चल।

ज़्यादा उड़ना ठीक नहीं,
रिश्ते मत चटकाता चल।

सच तो झूठ नहीं बनता,
ख़ुद को मत भरमाता चल।

प्यार मुहब्बत से सचमुच,
लोगों को महकाता चल।

नागेन्द्र नाथ गुप्ता - मुंबई (महाराष्ट्र)

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