कभी रूठ के तेरा जाना
मुस्कुराना
आना फिर पलट के
हँसना खिलखिलाना
और मचलना रोना
आँसू बहाना
कभी मीठी न्यारी प्यारी
बातों से मन को गुदगुदाना
और कभी ख़ुद से बातें करना
मोह लेता है मन सभी का
प्यारा सा बचपन
दुलारा सा बचपन।
डॉ॰ उदय शंकर अवस्थी - लखनऊ (उत्तर प्रदेश)