डॉ॰ उदय शंकर अवस्थी - लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
बचपन - कविता - डॉ॰ उदय शंकर अवस्थी
सोमवार, अक्तूबर 04, 2021
कभी रूठ के तेरा जाना
मुस्कुराना
आना फिर पलट के
हँसना खिलखिलाना
और मचलना रोना
आँसू बहाना
कभी मीठी न्यारी प्यारी
बातों से मन को गुदगुदाना
और कभी ख़ुद से बातें करना
मोह लेता है मन सभी का
प्यारा सा बचपन
दुलारा सा बचपन।
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