घट है माटी से बना, लगा अल्प सा दाम।
लू में शीतल वारि दे, आता बहुतों काम।।
घट-घट में भगवान हैं, जीव जीव में जान।
हर प्राणी भगवान का, सदा प्रेममय मान।।
कण-कण में प्रभु वास है, सभी घटों में प्राण।
जीव तभी तक जीव है, जब तक चलती ध्राण।।
सभी जीव भगवान के, भगवन पर विश्वास।
भगवन ही संसार में, करते पूरी आस।।
मानव-मानव एक हैं, ख़ून सभी का लाल।
आती जब विपदा घडी़, बदले कुछ की चाल।।
बदले जिसकी चाल है, मन में रखता खोट।
ढुलमुल जिसकी नीति हो, मन को लगती चोट।।
महेन्द्र सिंह राज - चन्दौली (उत्तर प्रदेश)