संदेश
हाथ मलता रहा चाँद - नज़्म - सुषमा दीक्षित शुक्ला
रात भर हाथ मलता रहा चाँद है। चाँदनी रूठकर गुम कहीं हो गयी। सारे तारे सितारे लगे खोजने। रातरानी छिपी या कहीं खो गयी। मीठे मीठे मोहब…
नैनों की भाषा - कविता - अवनीत कौर "दीपाली सोढ़ी"
भाषा नहीं है आसान दो नैन इसकी पहचान करते जब इशारे मटक कर भटका देते, निकाल देते जान। कुछ शर्मीले, कुछ बदमाश नैनों के है अलग मिज़ाज नैनो…
जो भी प्यार से मिला - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
जब हमनें प्यार से मिलने का जज़्बा दिखाया, अपने सामनें लोगों का हूजूम पाया। हर कोई प्यार से हमें मिले ऐ तो कोई बात नहीं, हमने ही प्यार…
मीठा अहसास - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"
प्यार लगे मीठा अहसास है, दिल में रहने लगे जब कोई ख़ास है। इक ही सूरत नज़र आती दिन रात है, मुहब्ब्त की पहली मुलाक़ात है। दूर होकर भी रहता …
नया साल आ गया - गीत - सतीश मापतपुरी
सारे शिकवे-गिले अब भुला दीजिए। नया साल आ गया मुसकुरा दीजिए। हर ख़ता माफ़ करने की रुत आ गयी। हैं ख़फा जो उन्हें फिर मना लीजिए। कीजिए …
खिले उजाला प्रगति का - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
खिले उजाला प्रगति का, बढ़े राष्ट्र सम्मान। उत्तर से दक्षिण तलक, नया वर्ष वरदान।।१।। धवल कीर्ति उन्मुक्त नभ, खिले अधर मुस्…
चाहत - ग़ज़ल - महेश "अनजाना"
दिलवर से दिल लगाना चाहता हूं। प्रेम का दीपक जलाना चाहता हूं। ताक़यामत करेंगे मोहब्बत उनसे, मिलके ये उनको बताना चाहता हूं। दिल में कई ख…
क्या तुम मेरे हो - कविता - प्रवीण श्रीवास्तव
सर्वस्व त्याग किया मैंने, प्रेम भी, दुख भी, और वह अहसास भी जो कभी मन में था कि तुम मेरे हो, तुम मेरे हो। जीवन मे तुम्हारे आने पर कि…
शाम उतर आयी है दिल में - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
शाम उतर आई है दिल में, यादों की सुंदर महफ़िल में। कभी सताती कभी हँसाती, बातें उनकी दिल ही दिल में। सजधज साथ घूमती उनके, यादों की ब्यूटी…
वरमाला - कविता - अंकुर सिंह
जयमाला पर जब तुम मिलोगी, तुम्हारे हाथों में वरमाला होगी। नज़र झुकाए प्रिय तुम होगी इशारों से हममें सिर्फ बातें होंगी।। तुम्हारी सहेलिया…
नारी सम्मान - कविता - ज़हीर अली सिद्दीक़ी
त्योहार नहीं, पहचान नहीं, घर के सीता का मान नहीं। वह सीता थी सती सदा, आज नज़रें सीता को घूर रहीं।। असत्य के साथ था भले खड़ा पर मर्यादा प…
चितेरा-सा - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"
मेरा-सा, पर तेरा-सा हर पल नया सवेरा-सा। रूह, रूह में समा गई अब क्या तेरा-मेरा-सा। लब चुप हैं, संकेत प्रबल दिल मौनी का डेरा-सा। अब तो ल…
दुर्गम है संघर्ष - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
तजो दीन मन हीनता, स्वीकारो संघर्ष। भाग्य भरोसे मत रहो, वरना हो अपकर्ष।।१।। आएँगी बाधा विविध, तोड़ेंगे उत्साह। संघर्षी साहस स…
मिहिर! अथ कथा सुनाओ (भाग ३६) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(३६) उदित हुए मार्तण्ड, किरण पट अपना खोले। नव सृजित झारखण्ड, कथा भावुक हो बोले। मन की इक-इक गाँठ, निवासी खोल रहे थे। होकर आशातीत, निरं…
माँ - कविता - राम प्रसाद आर्य
माँ ने मुझे जना, माँ ने मुझको पाला। माँ ने रखा मुँह में मेरे, भोजन का प्रथम निवाला।। माँ ने आँचल में ढककर, है मुझको दूध पिलाया। जब-…
तुमको जीना होगा - कविता - श्रवण निर्वाण
बेशक! अपनों को खो दिया, आगे बढ़ना होगा ख़्वाब अधूरे हैं बहुत, उन्हें तो पूरा करना होगा। विपदा आई है, दुःख लायी इन्हें तो सहना होगा टूटा …
श्री गणेश स्तुति - कविता - तेज देवांगन
करूँ गुणगान तेरी मैं तेरी। तू विघ्नहर्ता, तू सिद्धि है मेरी। नवजोत मैंने लगाए ये फेरी। तू विघ्नहर्ता, तू सिद्धी है मेरी। लड्डू मोदक लग…
मधुरिम मन के - कविता - प्रवीन "पथिक"
मधुर मधुर तुम, मधुरिम मन के! आलंबन मेरे जीवन के, तुम्हें देख ही तृप्त हो जाते। प्यासे सपने मेरे नयन के... अधर है तेरे रस के प्याले…
ई मेल - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
सुख-दुख हो गए मानो धूप-छाँव का खेल। दिन मुसाफ़िर से आते और जाते हैं। किसी परिचित से हम खड़े बतियाते हैं।। स्टेशन हम पहुँचे थे तभी छूट ग…
स्वराज मिलेगा - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
गाँधी जी आपने कहा था की स्वराज मिलेगा। पर घीसा को एक जून रोटी चिथड़ों से ढ़की सौष्ठव काया ही हजूरी में जवान लटी क्या उसके जीवन में समूं…
मिहिर! अथ कथा सुनाओ (भाग ३५) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(३५) जगपालक दिनमान, किरण पट अपना खोले। होठों पर मुस्कान, जगा कर झट से बोले। नेता बाबूलाल, मरांडी बने पुरोगम। तिलक लगाए भाल, किए सबको स…
ख़ामियों को नहीं खूबियों को देखे - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
जी बिल्कुल व्यक्ति की खामियों को नज़र अंदाज करते हुए उसकी खूबियों को देखना चाहिए क्योंकि अगर आप उसकी खूबियाँ देखेंगे तो उसके प्रति आपका…
नया साल आया - कविता - राम प्रसाद आर्य
गया बीस, अब नया साल आया इक्कीस। सुखी, स्वस्थ, सम्पन्न सभी हों हे ईश! बाढ़ बैभव की आये इस नये साल में, खुशियों से हो झोली भरी, हे जग…
खुशियाँ - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
खूब मनाओ नये वर्ष की खुशियाँ तुम दिन-रात, पर भूल न जाना नये वर्ष मे खठ्ठी-मिठ्ठी सब बात, गुज़र गई सब वो रातें पंक्षी आ गये मचान, नये…
चहुँमुख विकास नववर्ष उदय - कविता - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
नवल नववर्ष मुदित खुशियाँ विहान, हो मुक्त कोरोना सारे ज़हान, हो मुस्कान समृद्ध सुखमय जीवन, हो सीमान्त शौर्य भारत सम…