जो भी प्यार से मिला - कविता - सुधीर श्रीवास्तव

जब हमनें प्यार से 
मिलने का जज़्बा दिखाया,
अपने सामनें लोगों का 
हूजूम पाया।
हर कोई प्यार से हमें मिले
ऐ तो कोई बात नहीं,
हमने ही प्यार से, सबसे
मिलने का हौसला दिखाया।
लोगों ने भी मुझे देख
अपना मन बनाया,
जिस जगह मैं 
खड़ा था अब तक अकेला,
वहाँ अब लोगों का सैलाब आया।
भूल जाइए आपसे
मिलने भी आएगा प्यार से कोई,
मैंनें आगे बढ़कर 
लोगों को गले लगाया।
मैंनें लोगों के साथ होने की
बात को बिसार दिया,
अब तो जनसैलाब
मेरे साथ हो लिया।
जिस जिससे प्यार से मैं मिला
सब मेरे साथ हो लिए,
मैं आगे बढ़ता रहा
लोग मेरे साथ हो लिये।

सुधीर श्रीवास्तव - बड़गाँव, गोण्डा (उत्तर प्रदेश)

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