स्वराज मिलेगा - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी

गाँधी जी
आपने कहा था
की स्वराज मिलेगा।
पर घीसा को
एक जून रोटी
चिथड़ों से ढ़की
सौष्ठव काया
ही हजूरी में
जवान लटी 
क्या उसके जीवन में
समूंदी का स्वाद मिलेगा।
गाँधी जी 
आपने कहा था
स्वराज मिलेगा।
पर
लक्ष्मी सिर पे
कंडे लिये
अभावो में उलझी
सोच अब अवरुद्ध है।
ग़रीबी की लगाम
लिये नेता लामबद्ध है
फिर यथा नाम यथा गुण
का पिटारा कब खुलेगा।
गाँधी जी 
आपने कहा था
स्वराज्य मिलेगा।
मन में संकल्प
लिये बेटा बेटी
को खूब पढ़ाऊँगी
फीस की ऊँचाई
को न छू सका
उसका संकल्प
बेबसी ने ढेर 
कर दिया
मन मसोसा और हालात
से समझौता कर लिया।
गाँधी जी आपने कहा था
स्वराज्य मिलेगा।

रमेश चंद्र वाजपेयी - करैरा, शिवपुरी (मध्य प्रदेश)

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