किस पर है दुख भारी दुनिया - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'

अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन
तक़ती : 22  22  22  22

किस पर है दुख भारी दुनिया,
क्या सच है बतला री दुनिया।

दुख है तो कारण भी होगा,
ठीक-ठीक समझा री दुनिया।

कह दे जो महसूस किया है,
अब मत देर लगा री दुनिया।

एक साथ यदि कह न सके तो,
कह दे बारी-बारी दुनिया।

अलग नहीं मैं भी तुझमें हूँ,
तुझसे तो है यारी दुनिया।

तेरे सँग मैं भी रोती हूँ,
लेकर पीर उधारी दुनिया।

तू कह दे तो मैं भी कर लूँ,
हँसने की तैयारी दुनिया।

कोई तो होगी हँसने की,
वह तरकीब बता री दुनिया।

तू ख़ुशियों के जल से धोकर,
ग़म के दाग़ मिटा री दुनिया।

अंचल की यह जटिल पहेली
अब झटपट सुलझा री दुनिया।

ममता शर्मा 'अंचल' - अलवर (राजस्थान)

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