श्री गणेश स्तुति - कविता - तेज देवांगन

करूँ गुणगान तेरी मैं तेरी।
तू विघ्नहर्ता, तू सिद्धि है मेरी।
नवजोत मैंने लगाए ये फेरी।
तू विघ्नहर्ता, तू सिद्धी है मेरी।
लड्डू मोदक लगाए गज तेरो।
करूँ कामना जग मैं तेरो।
विघ्न विनाशक, मत्यासुर विजेता।
वक्रटुंडा जग रचयिता।
आशीष दियो, हरो जग पीड़ा।
तू महोदर तेरी अपार लीला।

तेज देवांगन - महासमुन्द (छत्तीसगढ़)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos