शाम उतर आयी है दिल में - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला

शाम उतर आई है दिल में,
यादों की सुंदर महफ़िल में।
कभी सताती कभी हँसाती,
बातें उनकी दिल ही दिल में।
सजधज साथ घूमती उनके,
यादों की ब्यूटीफुल हिल में।
शाम उतर आयी है दिल में,
यादों की सुंदर महफ़िल में।
यादें भी अब गले मिली हैं,
जैसे नदी मिले साहिल में।
शाम उतर आई है दिल में,
यादों की सुंदर महफ़िल में।
कभी सताती कभी हँसाती,
बातें उनके दिल ही दिल में।
सपनों की घाटी में मिलती,
बेचैनी से लेकर दिल में।
कभी रूठते  कभी मनाती,
मैं साजन को दिल ही दिल में।
शाम उतर आई है दिल में।
यादों की सुंदर महफ़िल में। 

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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