खिले उजाला प्रगति का, बढ़े राष्ट्र सम्मान।
उत्तर से दक्षिण तलक, नया वर्ष वरदान।।१।।
धवल कीर्ति उन्मुक्त नभ, खिले अधर मुस्कान।
शुभ मंगल नववर्ष लो, धन वैभव सुख मान।।२।।
कविरचना सद्भाव मन, हो भारत नित गान।
राष्ट्रधर्म अरु भक्ति मन, प्रीति ईश नित ध्यान।।३।।
होगा क्या अनज़ान जग, चलो सुपथ सत्काम।
खिलो कुसुम भारत चमन, हो जीवन अभिराम।।४।।
हरियाली भू अन्नदा, शिक्षा धन विज्ञान।
गौरवमय हो सैन्यबल, हो किसान सम्मान।।५।।
नीति प्रीति यश त्याग बल, शान्ति समा रजनीश।
मान बन्धु वसुधा सकल, जनहित हो अवनीश।।६।।
हरी भरी सुष्मित प्रकृति, स्वच्छ वायु जल व्योम।
प्रवहमान सरिता बहुल, गिरि वारिधि रवि सोम।।७।।
नव जागृति नव चेतना, नव प्रभात अरुणाभ।
खग द्विजगण उन्मुक्त मन, चहके उड़ नीलाभ।।८।।
रक्षण नित वन सम्पदा, जीव जन्तु निर्भीत।
नित निर्मल पर्यावरण, कोरोना से जीत।।९।।
भ्रमरगान मधु माधवी, सुरभित हृदय निकुंज।
तरु रसाल मुकलित कुसुम, मधुरिम कोकिल गुंज।।१०।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली