हाथ मलता रहा चाँद - नज़्म - सुषमा दीक्षित शुक्ला

रात भर हाथ मलता रहा चाँद है।
चाँदनी रूठकर गुम कहीं हो गयी।
 
सारे तारे सितारे  लगे  खोजने।
रातरानी छिपी या कहीं खो गयी।

मीठे मीठे मोहब्बत के झगड़े सनम।
करके कोई दीवानी कहीं सो गयी। 

जुस्तजू में तड़पता रहा चाँद है।
दास्तां फिर पुरानी नयी हो गयी।

आसमानी मोहब्बत ज़मीं पर खिली।
प्यार के बीज खुद सुष ज़मी बो गयी।

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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