ख़ामियों को नहीं खूबियों को देखे - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला

जी बिल्कुल व्यक्ति की खामियों को नज़र अंदाज करते हुए उसकी खूबियों को देखना चाहिए क्योंकि अगर आप उसकी खूबियाँ देखेंगे तो उसके प्रति आपका सकारात्मक दृष्टिकोण रहेगा, अगर आप उसके ख़ामियाँ देखेंगे तो आपका दृष्टिकोण अपने आप नकारात्मक हो जाएगा।
हर व्यक्ति में कोई न कोई खूबी अवश्य होती है। किसी ने किसी खूबी का मालिक हर व्यक्ति होता है, बस फ़र्क़ आपके नज़रिए का होता है  कि आप उसे किस तरह देखना पसंद करते हैं, खूबियों की दृष्टि से या ख़ामियों के नज़रिए से।

घमंड को भेदभाव में बदलते देर नहीं लगती। एक घमंडी इंसान खुद को दूसरों से बेहतर समझता है। ऐसी सोच किसी पर भी हावी हो सकती है।
एक जानी-मानी किताब में लिखा है कि करीब हर समाज के लोगों का मानना है कि उनके तौर-तरीके खान-पान पहनावा तथा उसूल दूसरे समाज के लोगों से बेहतर हैं।
हमें ध्यान देना चाहिए कि हममें ऐसी सोच न पनप पावे।
व्यक्ति को विनम्र होना चाहिए तो वह घमंडी हो ही नहीं सकता।

एक नम्र इंसान जानता है कि दूसरा किसी न किसी मायने में उससे बेहतर है, क्योंकि ऐसा कोई समाज नहीं, कोई व्यक्ति नहीं जिसमें सारी खूबियाँ ही खूबियाँ हों और कोई कमी ना हो। यह नहीं भूलना चाहिए उसमें भी कोई न कोई कमी तो अवश्य होगी।

जिन मामलों में आप कमजोर हैं हो सकता है कि उनसे अगला व्यक्ति कई गुना बेहतर हो। यह भी नहीं सोचना चाहिए कि किसी समाज के हर व्यक्ति में एक जैसी ख़ामियाँ हैं।

किसी व्यक्ति के बारे में गलत राय कायम करने से पहले सोचिए क्या वह सच में बुरा है या बस मुझसे अलग है, क्या उसे भी मेरी कुछ बातें बुरी लगती होंगी, ऐसे कौन से काम है जो वह मुझ से अच्छी तरह करता है?
अगर आप इस तरह के सवालों के बारे में सोचेंगे तो आप खुद देख पाएँगे कि सामने वाले में से कई ज्यादा खूबियाँ हैं जो आप में नहीं है और तब आप उससे भेदभाव नहीं कर पाएँगे।

यदि आप उसकी ख़ामियों को नज़र अंदाज करेंगे तो उसमे खूबियाँ भी नज़र आयेगीं ही।
नतीजन आपका उसके साथ अच्छा सकारात्मक तालमेल बन सकेगा  जिससे एक अच्छा सामंजस्य समाज में स्थापित होगा और  सुन्दर समाज का निर्माण हो सकेगा।

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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