संदेश
एक बार प्रिये - गीत - सुशील कुमार
तुझपे तन मन सब वारु मैं बस तुझको अपना मानू मैं जीवन की सारी ख़ुशियाँ कर दूँ तुझपे न्योछार प्रिये तू कह दे बस एक बार प्रिये तुझको मुझसे…
कील - कविता - संजय राजभर 'समित'
कील ने कहा– "हमारी प्रकृति है चुभना और यह आप पर निर्भर है मुझे कहाँ चुभाना चाहते हो दीवार पर, दरवाज़े पर या आलमारी में पर मैं हमेश…
पहली कविता - कविता - इमरान खान
पहली कविता इतिहास की पहली कविता! मैंने तुम्हें, तमाल का फूल भेंट करते हुए सुनाई थी! कल्पना के संसार में! वो कल्पना कोरी कल्पना थी! कल्…
कविता की तस्वीर - कविता - लालता प्रसाद
ख़ामोशी का आलम है अपने अरमा कहाँ उतारे, शब्द; कलम संग पन्नो पर कविता की तस्वीर सँवारे। शब्द आत्मा बने, पटल पर; काया पन्ना हो जाए, छंदो…
अमर वीर जवान - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
राष्ट्र शौर्य बलिदानियों, भारत सैन्य जवान। तन मन धन अर्पण स्वयम्, जीवन अमर महान॥ नमन सैन्य की वीरता, नमन साहसी धीर। करे देश सीमांत …
डोरी से बंधी आज़ाद पतंग - कविता - निवेदिता
सोच रही हूँ, क्यों ना आज अपना परिचय दे दूँ। मैं पतंग, हाँ वही आसमान में उड़ने वाली, ऊँचाइयों को छूने वाली। सोच रही हूँ क्यों न आज हक़ीक़…
रेत में दुख की - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
आओ फिर से उठे, बेहतर में मिल जाएँ। रेत में दुख की, कुसुम सम खिल जाएँ। गहरे हैं सन्नाटे, गहरी है विषाद की रेखा। दूजों की बात करें क्यों…
इक ख़ुमारी है बे-क़रारी है - ग़ज़ल - रोहित सैनी
अरकान : फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन तक़ती : 2122 1212 22 इक ख़ुमारी है, बे-क़रारी है, रूह प्यासी है, मन भी भारी है। इक सदी है कि जो गुज़र ग…
जय श्री राम - कविता - केशव सैनी
लहराए भगवा, बाजै मृदंग जलाए दीप, गाजै गगन करोड़ो कुसुम लिए मधुर मुस्कान राजीवलोचन मेरे नयनाभिराम सत्य, संकल्पित, स्वर्णिम नाम जय श्री …
अखिल विश्व के स्वामी राम - गीत - सुशील शर्मा
अखिल विश्व के स्वामी राम, भक्तों के अनुगामी राम। माँ कौशल्या के राजदुलारे, कैकई माता के हैं प्यारे। नेह भरी सुमित्रा माई, लखन शत्रुघ्न…
मेरे श्रीराम आए हैं - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
चलें अयोध्या धाम मेरे श्रीराम आए हैं। सजे अवध सुखधाम, किशोरी श्याम आए हैं। ख़ुशियाँ फैली अविराम, लखन सत्काम आए हैं। भरत लाल हनुमान, …
जन-जन के आराध्य राम हो गए - कविता - मयंक द्विवेदी
कौशल्या के लाल, रघुकुल भाल, जनक दुलार, कैसे षडयन्त्र का शिकार हो गए, अपने ही घर बेदख़ल निकाल हो गए। शबरी के राम, केवट प्रणाम, करे बार-ब…
आज घर-घर दिए फिर जलाएँगे हम - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
खिल उठे दिल, पड़े श्रीराम के क़दम, आज घर-घर दिए फिर जलाएँगे हम। आपका शुभ दरस पा गए आज हम, आज सार्थक हुआ है ये मेरा जनम। आज घर-घर दिए फिर…
तो ज़िंदगी है - कविता - ऋचा सिंह
धूप में खोजे है छाँव, छाँव में गुमसुम-सी है ये अनमनी जो है तो ज़िंदगी है। रात में करवट जो बदले भोर भए उम्मीद-सी है, ये आस जो है तो ज़िं…
घात - कविता - संजय राजभर 'समित'
किसी भी विषय पर ज्ञानी होना अच्छी बात है पर ज्ञानी होकर मौन रहना सबसे घात है और कम ज्ञानी मुखरित होकर यदि लड़ रहा है तो वह असली योद्धा…
अश्रुमय जीवन - कविता - प्रवीन 'पथिक'
आज कल मन बहुत उदास है! शायद! कुछ भी नहीं मेरे पास है। दर्द रुलाता है, ऑंखें भर आती हैं, उदासी फिर भी नहीं जाती है। सपनें नहीं टूटे, टू…
मिट्टी और कुर्सी - कविता - कर्मवीर 'बुडाना'
मिट्टी का ये मुझ सा गुड़ बदन भौतिक स्वरूप, मैं समय नहीं हूँ, मिट्टी का एक डला सा हूँ बस जिसे सबने जाना ज़िंदादिल मास्टर कर्मवीर भूप। मिट…
राम सिया का कर अभिनन्दन - गीत - कमल पुरोहित 'अपरिचित'
मन में मत रख प्यारे उलझन राम सिया का कर अभिनन्दन कौशल्या के राज दुलारे सौम्य मधुर लगते हैं प्यारे दशरथ के हैं पहले नंदन माथे पर जिन…
लोहड़ी और बदलता मौसम - कविता - गणेश भारद्वाज
हर मन में नव उल्लास भरा, लो आया पर्व मिठास भरा। सब दुल्ला भट्टी याद करें, हर रिश्ता हो विश्वास भरा। घर-घर में तिल, गुड़ संगम है, हर मा…
मकर संक्रांति - गीत - उमेश यादव
संक्रांति का पर्व है पावन, सबके मन को भाता है। पोंगल, लोहड़ी, खिचड़ी, बीहू, मकर संक्रांति कहलाता है॥ मकर राशि में जाकर सूरज, उत्तरायण ह…
खिचड़ी - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
खिचड़ी का अर्थ है एकता ये है अनेकता में एकता खिचड़ी का अर्थ है प्यार ये सादगी का अद्भुत त्यौहार सामंजस्य भी है इसका अर्थ मितव्ययिता भी ह…
मकर संक्रांति - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
आज हुआ किसान फिर धरा मुदित, नवान्न फ़सल कटाई होती है। फिर जले अलाव लोहड़ी उत्सव, बाली गेहूँ आग दी जाती है। ख़ुशियाँ लेकर आई लोहड़ी, प्रम…
नि:शब्द - कविता - गौरव कुमार
आज वर्षों बाद मैं घर लौटा... माँ और बड़े लोगों से मिलकर अच्छा लगा। ख़ुशी इस बात की भी थी कि दिल की सारी बातें उसे कह पाऊँगा। उसे देखने …
जय बोलें श्रीराम की - गीत - उमेश यादव
आओ सब मिल महिमा गाएँ, जननायक श्रीराम की। राम तत्त्व मन में विकसाएँ, जय बोलें श्रीराम की॥ राज पाट को छोड़ा प्रभु ने, कानन को स्वीकार किय…
अमलतास के फूल - कविता - इमरान खान
अमलतास के फूलों पर खिल उठे है इंद्रधनुष! बादल घिर आए है, समुंद्र की सुनहरी धूप में! और दूर तक फैली दिखाई देती है, कोहरे की सपाट सड़क! …
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