मन में मत रख प्यारे उलझन
राम सिया का कर अभिनन्दन
कौशल्या के राज दुलारे
सौम्य मधुर लगते हैं प्यारे
दशरथ के हैं पहले नंदन
माथे पर जिनके हैं चंदन
मन में मत रख प्यारे उलझन
राम सिया का कर अभिनंदन
मर्यादित है उनका जीवन
राज पाट को छोड़ चले वन
तोड़े सब माया के बंधन
सुख त्यागा घूमे वो वन-वन
मन में मत रख प्यारे उलझन
राम सिया का कर अभिन्दन
त्याग करोगे राम मिलेंगे
प्रेम करोगे श्याम मिलेंगे
राम श्याम को पाना है तो
मोह जगत से दूर हटा मन
मन में मत रख प्यारे उलझन
राम सिया का कर अभिनंदन
प्रीत राम से गर करना है
दिल में बस उनको रखना है
उनके पदचिन्हो पर चल मन
जीवन बन जाएगा कुंदन
मन में मत रख प्यारे उलझन
राम सिया का कर अभिनन्दन
कमल पुरोहित 'अपरिचित' - कोलकाता (पश्चिम बंगाल)