खिचड़ी - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला

खिचड़ी - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला | Hindi Kavita - Khichadi - खिचड़ी पर कविता, मकर संक्रांति कविता। Hindi Poem On Khichadi
खिचड़ी का अर्थ है एकता
ये है अनेकता में एकता
खिचड़ी का अर्थ है प्यार
ये सादगी का अद्भुत त्यौहार
सामंजस्य भी है इसका अर्थ
मितव्ययिता भी है इसका अर्थ
खिचड़ी केवल दाल चावल
मिलाकर खाना नहीं
इसमे छिपा है इसमें निहित है
एकरूपता, सरलता, मिलाप
का अद्भुत सन्देश
अमीरियत के छप्पन भोग
का न कोई झंझट
ना महँगे ख़र्चे का क्लेश
लोहड़ी, मकर संक्रांति
पोंगल, उत्तरायण, बिहू माघ
पूरे देश मे पर्वो का राग
खिचड़ी त्यौहारों की
खिचड़ी व्यवहारों की
खिचड़ी सुविचारों की
महलों की गलियारों की 
आसमान में पतंगों की कतारें
कितने हसीन ये दिलकश नज़ारे
तिल गुड़ के सोंधे से लड्डू
और जाड़ों की गुनगुनी धूप
गरमागरम खस्ता मूँगफली
सर्दी में चाय पकौड़े की भूख
प्यारा है खिचड़ी का त्यौहार
मूली पापड़ दही अचार।


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