हर मन में नव उल्लास भरा,
लो आया पर्व मिठास भरा।
सब दुल्ला भट्टी याद करें,
हर रिश्ता हो विश्वास भरा।
घर-घर में तिल, गुड़ संगम है,
हर मानव है नव आस भरा।
अब फूल खिलेंगे पौधे पर,
धरती पे होगा घास हरा।
सर्दी की चादर सिमटेगी,
अब होगा सूर्य पास धरा।
निकलेंगे सब दुबके प्राणी,
आएगा मौसम रास ज़रा।
अब बदली राशी सूरज नें,
लो लौटा मौसम आस भरा।
होगी सिकुड़न दूर सभी की,
हर मन में नव विश्वास भरा।