जय श्री राम - कविता - केशव सैनी

जय श्री राम - कविता - केशव सैनी | Shri Ram Kavita - Jai Shri Ram - Keshav Saini | भगवान श्री राम पर कविता
लहराए भगवा, बाजै मृदंग
जलाए दीप, गाजै गगन
करोड़ो कुसुम लिए मधुर मुस्कान
राजीवलोचन मेरे नयनाभिराम
सत्य, संकल्पित, स्वर्णिम नाम
जय श्री राम, जय श्री राम 
सदियो चले दुर्गम पथ पर पग 
सपना साकार करे राममय जग
फूलो से गंध ले उड़े हवा मंद-मंद
अविरल बहे गायन-मंत्र और छंद
अनल-अनिल, अंबु-अंबर सब रामवृंद
जय श्री राम, जय श्री राम 
अवध में रामलला बिराजे
माथे मुकुट, कर में शरसान साजे
रंग-रत्न, कुंकुम-कुसुम से मंडप साजे
कोटि सूर्य चंद्र तन तेज बिराजे
झाँझ-मंजीरे, ढोल-नगाड़े 
एक सुर में व्यापे
जय श्री राम, जय श्री राम

केशव सैनी - केकड़ी (राजस्थान)

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