हेमन्त कुमार शर्मा - कोना, नानकपुर (हरियाणा)
रेत में दुख की - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
गुरुवार, जनवरी 25, 2024
आओ फिर से उठे,
बेहतर में मिल जाएँ।
रेत में दुख की,
कुसुम सम खिल जाएँ।
गहरे हैं सन्नाटे,
गहरी है विषाद की रेखा।
दूजों की बात करें क्यों,
अपनो को भी ख़ूब देखा।
उधड़ें है फिर सिल जाएँ।
बारिश के मौसम में सूखा,
वह शख़्स कल से भूखा।
वादे थे कच्चे,
सड़क की तरह।
फिर विश्वास किया,
मन ढीट की तरह।
जैसे ज़ख़्म छिल जाएँ।
पीड़ा के क्षणों में,
सुख के कणों में।
सूरत बस तेरी थी,
हवा भी घनेरी थी,
कहने की देरी थी।
दरख़्त भी हिल जाएँ।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर