अमलतास के फूलों पर खिल उठे है इंद्रधनुष!
बादल घिर आए है,
समुंद्र की सुनहरी धूप में!
और दूर तक फैली दिखाई देती है,
कोहरे की सपाट सड़क!
जिसमें से,
छनछन कर गिरती है मदिरा की बूँदें,
अमलतास के फूलों पर!
वर्षा आह वर्षा,
कोहरे की पांखी फैलाए,
मँडराती है,
पूरब से पश्चिम की शाम!
धीरे-धीरे,
उतर आता है अमलतास के फूलों पर,
जुगनुओं का संगीत!
इमरान खान - नत्थू पूरा (दिल्ली)