अखिल विश्व के स्वामी राम,
भक्तों के अनुगामी राम।
माँ कौशल्या के राजदुलारे,
कैकई माता के हैं प्यारे।
नेह भरी सुमित्रा माई,
लखन शत्रुघ्न के हैं भाई।
भाई भरत के प्राणाधार,
दशरथ का जीवन संसार।
अवधपुरी के स्वामी राम,
भक्तों के अनुगामी राम।
राक्षस प्राणों के विध्वंसक,
विश्वामित्र यज्ञ के रक्षक।
डरे हुए ऋषियों के बीच,
वधे ताड़का अरु मारीच।
ऋषि मुनियों के तारणहार,
राम सत्य के अवतार।
सदा धर्म पथगामी राम,
भक्तों के अनुगामी राम।
शिवपिनाक के प्रभु हैं भंजक,
सिय सपनों के श्री प्रभु रंजक।
जनक कष्ट के प्रभु हैं हर्ता,
जनकनंदनी के प्रभु भर्ता।
राम सिया विवाह अति पावन,
मर्यादा रत अति मन भावन।
सीय हृदय के स्वामी राम,
भक्तों के अनुगामी राम।
बनी निमित्त मंथरा दासी,
कोप भवन की कैकई वासी।
भरत राज्य राम वनवासी,
अवधपुरी में भरी उदासी।
छोड़ा राज्य लोक हित साधा,
चले प्रभु हरने सब बाधा।
मर्यादा पथगामी राम,
भक्तों के अनुगामी राम।
ऋष्यमूक पर्वत के वासी,
हनुमान अविचल अविनाशी।
राम नाम के हनुमत रसिया,
राम प्रभु हनुमत मन बसिया।
सीताखोज लंक को जारा,
राम नाम पर सब कुछ बारा।
संकट मोचक स्वामी राम,
भक्तों के अनुगामी राम।
राम सेतु चढ़ लंका आए,
वानर लंका दुर्ग ढहाए।
रावण मेघनाथ संहारे,
असुर समूल नष्ट कर सारे।
अवधपुरी में राम पधारे,
राम सत्य संकल्प हमारे।
हम सबके मन स्वामी राम,
भक्तों के अनुगामी राम।
सुशील शर्मा - नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश)