संदेश
भविष्य के सितारे - कविता - रूशदा नाज़
सुनो मेरे प्यारे! तुम डरते क्यूँ हो? भविष्य के सितारे सुनो! तितलियों की उड़ान उड़ सकते हो वो चाहत हो तुम तुम सूर्य हो, तप सकते हो अग्न…
बिरजू केर पापा - बघेली लघुकथा - ईशांत त्रिपाठी
थोर क हरबी करा, विमला! तू त ओहिन ठे गड़ी गए। कइसन हरबी करी बिरजू के पापा, नंदी जी केर काने म अब बोलबओ मुसकिल किहे हेन अपना। त विमला! क…
जो पीछे रह गए - कहानी - डॉ॰ अबू होरैरा
[1] दिल्ली हवाई अड्डे पर लोगों का हुजूम अड्डे से बाहर आ रहा था और जा रहा था। चूँकि राजधानी थी इसलिए भीड़ भी ज़्यादा थी। कोई किसी को देखक…
प्रेम पर पहरा - कविता - डॉ॰ प्रियंका सोनकर
प्रेम पर हज़ार पहरे होने के बाद भी उसने चुना प्रेमी होना पता था उसे जाति के बाहर शादी करने पर सज़ा क्या होगी उसकी देखा था उसने कई पीढ़ि…
मेघ और मनुज - कविता - कुमार प्रिंस रस्तोगी
जेठ अषाढ़ी सावन बरसे बरसे अर्ध कुँवार, आसमान में चातक घूमे धरती करे पुकार। हे इंद्रराज! अब करो तृप्त तुम मेरे हे प्राण, मनुज-मनुज ही ह…
उसने जब-जब कोई मुझसे सवाल पूछा है - ग़ज़ल - डॉ॰ राकेश जोशी
अरकान : फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन तक़ती : 212 1222 212 1222 उसने जब-जब कोई मुझसे सवाल पूछा है, मैंने तब-तब पलट के उसका हाल पूछ…
सर्वस्य त्वं - गीत - सुशील शर्मा
घोर त्वं अघोर त्वं। भाव त्वं विभोर त्वं। सिद्धि त्वं प्रसिद्धि त्वं। क्षरण त्वं वृद्धि त्वं। अखंड शुद्धि बुद्धि त्वं। प्रचंड रिद्धि सि…
श्री गणेश चतुर्थी - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
चरण कमल श्रद्धा नमन, करूँ गजानन आज। उमातनय परमेश भज, स्वस्ति लोक गणराज॥ रक्तांबर पूजन करूँ, लम्बोदर विघ्नेश। गजमुख वरदायक नमन, जय ग…
गजानन! तुम्हारी गूँजे जै-जैकार - गीत - सुशील कुमार
जय शिव नंदन, कृपा निकंदन, गौरी सुत सरकार तुम्हारी गूँजे जै-जैकार। वाहन तेरा मूसक राजे, मातु पिता के चरण विराजे अनुपम ज्ञान दया के सागर…
गणेश वंदना - कविता - गणेश भारद्वाज
प्रथम पूजा के तुम अधिकारी, मानव देह पर गज मुख धारी। तेरी लीला है सबसे न्यारी, मूषक पर तुम करो सवारी। लड्डुन का तुम भोग लगाते, मिष्ठान्…
हरो कष्ट विनायका - गीत - शेख रहमत अली 'बस्तवी'
पुत्र गौरी श्री गणेशा, आप हो सहायका। शरण में हम आपके हैं, हरो कष्ट विनायका॥ गलियाँ रोशन कर रहे, स्वागत में हम सब आपके। उमड़ आई आँ…
ये गणराज गणेश गजानन, देव हमारे हैं - गीत - कमल पुरोहित 'अपरिचित'
ये गणराज गणेश गजानन, देव हमारे हैं। मन की आशा पूरी होगी, देव पधारे हैं॥ भादो शुक्ल चतुर्थी जन्में, गणपति स्वागत हैं। एक नज़र डालो अब…
हे गणपति! हे नाथ गजानन! - कविता - अनूप अंबर
मैय्या तेरी पार्वती है, तू शिव का है राजकुमार। हे गणपति! हे नाथ गजानन!, सुन लो अब मेरी पुकार। तुमने जाने कितने जन तारे, हम है नाथ अब …
श्री गणेश वंदना - कविता - देवेंद्र सिंह
गाओ गणपति जगवंदन, शंकर सुअन भवानी नंदन। देव, दनुज, मुनि सब कोई ध्यावे, सबसे पहले भोग लगावे। सेंदुर भाल बिराजत चन्दन, गाओ गणपति जगवंदन॥…
सृजन देवता श्री विश्वकर्मा - गीत - उमेश यादव
शिल्प के ज्ञाता, विश्व निर्माता, रूपकर्ता महान हैं। सृजन देवता श्री विश्वकर्मा, साक्षात भगवान हैं॥ ब्रह्मापुत्र धर्म के आत्मज, वास्त…
झाँक कर दिल में कभी मैं देखूँ जब भी आरज़ू - ग़ज़ल - कमल पुरोहित 'अपरिचित'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती : 2122 2122 2122 212 झाँक कर दिल में कभी मैं देखूँ जब भी आरज़ू, पा ही जाता हूँ हम…
हिंदी की थाती - कविता - विनय विश्वा
हिंदी हिंदुस्तान की या हिंदुत्व या भाषा! जिसमें आशाएँ बहुत हैं बशर्ते की वह ओढ़ा हुआ न हो उसका अपना स्वाभिमान हो अपनी तरह से जीने की …
मैं हिन्दी हूँ - कविता - गणेश भारद्वाज
मैं भारत के जन-जन की बोली हूँ, कितनी ही बहनों की हमजोली हूँ। जनमानस के प्राणों में बसती हूँ, तुतलाते बोलों से में हँसती हूँ। पढ़ने लिख…
हिन्दी - कविता - हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल'
मैं हिन्दी हिंदुस्तान की, गाथा अमर सुनाती हूँ। हूँ गौरव हर ललाट का, हर प्रांत में पाई जाती हूँ। गीत, संगीत, भजन, कहानी, और साहित्य का …
हिंदी का अस्तित्व - कविता - दीपा पाण्डेय
आज़ादी का बिगुल बजा था स्वप्न सँजोई थी हिंदी, मेरा ही वर्चस्व रहेगा यही सोचती रहती थी। सोलह बरस जब बीत गए थे अंग्रेजी ही छाई थी, सम्पूर…
हिंदी से है हिंद हमारा - कविता - अनूप अंबर
माँ की ममता के जैसी, सुंदर सी हमारी हिंदी। सारी दुनियाँ कुछ भी बोले, मेरी तो महतारी हिंदी॥ ख़ुशियों की किलकारी हिंदी, पुष्पों की फ…
हिंदी प्राण-शृंगार - कविता - ईशांत त्रिपाठी
जड़ता के पट टूट गिरें, अब चमक उठा मन द्वार हो, जब से मन में दीप बने है, हिन्दी कवियों के काव्य हो। कौन जरा, क्या व्याधि, क्यों तमस तहल…
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