प्रेम पर पहरा - कविता - डॉ॰ प्रियंका सोनकर

प्रेम पर पहरा - कविता - डॉ॰ प्रियंका सोनकर | Prem Kavita - Prem Par Pehraa - Dr Priyanka Sonkar. Hindi Poem On Love. प्रेम पर कविता
प्रेम पर हज़ार पहरे होने के बाद भी
उसने चुना प्रेमी होना 
पता था उसे जाति के बाहर शादी करने पर
सज़ा क्या होगी उसकी
देखा था उसने
कई पीढ़ियों तक 
कितनी ही ऐसी घटनाएँ
जहाँ
परम्पराओं की नोक पर
गाड़ दी गई थी उसकी बुआ की लाश
और जला दिए गए थे उसके अरमानों को भी 
भरी पंचायत में गाँव वालों ने
सुनाया जब फ़ैसला
कि घोर पाप किया है इसने
प्रेम करके,
जबकि ये वो लोग थे
जो पूजते थे राधा और कृष्ण को रोज़
कुछ को संगीत में लीन हो जाते भी देखा
प्रेम से भरे गीतों पर 
बार-बार मुग्ध हो जाया करते थे हरदम,
ये वो लोग थे
जिनकी मूँछे ऊँची थी पहाड़ों से भी
ख़बर तो थी सभ्यता के अंत होने की
लेकिन इनकी मूँछ के पीछे की शान का अंत 
ख़बर नहीं बने किसी अख़बारों के कभी
वहाँ के बच्चे-बच्चे और महिलाएँ भी न जान पाए थे
कि इस सभ्यता का अंत कब होगा।

डॉ॰ प्रियंका सोनकर - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

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