पुत्र गौरी श्री गणेशा,
आप हो सहायका।
शरण में हम आपके हैं,
हरो कष्ट विनायका॥
गलियाँ रोशन कर रहे,
स्वागत में हम सब आपके।
उमड़ आई आँख भगवन,
जबसे देखा ख़्वाब में।
नाथ के हो नाथ इक,
वरदान मुझको दीजिए।
आपसे अरदास है,
विश्वास पूरण कीजिए।
ब्रह्माण्ड में न आप जैसा,
हे ब्रह्माण्डनायका।
हम शरण में आपके हैं,
हरो कष्ट विनायका॥
महाभारत लेखकर,
आप बिन जीना नहीं,
आ गए हो हे गजानन,
छोड़कर जाना नहीं।
हम पखारें चरण को,
गंगा बहाकर प्रेम की।
भाग्यशाली हैं सभी,
वंदन करें हम देव की।
दुःख हरण, मंगल करण,
आप अष्टविनायका।
शरण में हम आपके हैं,
हरो कष्ट विनायका॥
आप हो ज्ञानी प्रभु,
हम ज्ञान से अज्ञान हैं।
विध्न-नाशक हृदय तल से,
आपको सम्मान है।
देवों के देव महादेव,
से जुड़ा ये नाम है।
गौरी माँ के लाड़ले,
बस आपका गुणगान है।
प्रथम होती आपकी,
आराधना, गणनायका।
शरण में हम आपके हैं,
हरो कष्ट विनायका॥
शेख रहमत अली 'बस्तवी' - बस्ती (उत्तर प्रदेश)