अनूप अम्बर - फ़र्रूख़ाबाद (उत्तर प्रदेश)
हिंदी से है हिंद हमारा - कविता - अनूप अंबर
गुरुवार, सितंबर 14, 2023
माँ की ममता के जैसी,
सुंदर सी हमारी हिंदी।
सारी दुनियाँ कुछ भी बोले,
मेरी तो महतारी हिंदी॥
ख़ुशियों की किलकारी हिंदी,
पुष्पों की फुलवारी हिंदी।
सुंदर-सुंदर प्यारी प्यारी,
देखो कितनी निराली हिंदी॥
हिंदी जैसा कोई नहीं है,
सब पर प्यार लुटाती हिंदी।
बचपन में बिन पढ़े लिखे,
माँ को प्रथम बुलाती हिंदी॥
कितने ख़्वाब सजाती हिंदी,
सपनों में रंग भर जाती हिंदी।
सा रे गा मा की पावन धुन को,
कितना मधुर बनाती हिन्दी॥
हिंदी से है हिंद हमारा,
सबके मन को भाती हिन्दी।
भजन आरती और गीतों को,
कितना मधुर बनाती हिन्दी॥
दिनकर और निराला के,
मन को है ये भाती हिन्दी।
प्रेमचंद के उपन्यास में,
करुणा है बरसाती हिंदी॥
हिंदी इतनी सरल कोमल,
फिर भी क्यूँ विसरायी हिंदी।
सूर और मीरा कबीर ने,
देखो अलख जगाई हिंदी॥
हिंदी मन मंदिर में व्यापक,
शब्दों की तरुणाई हिंदी।
हिंदी जैसा कोई नहीं,
संस्कृत सरल बन आई हिंदी॥
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर