हिंदी की थाती - कविता - विनय विश्वा

हिंदी की थाती - कविता - विनय विश्वा | Hindi Kavita - Hindi Ki Thaatee - Vinay Vishwa. Hindi Poem On Hindi Language. हिंदी भाषा पर कविता
हिंदी
हिंदुस्तान की या 
हिंदुत्व
या भाषा!
जिसमें आशाएँ बहुत हैं
बशर्ते की वह ओढ़ा हुआ न हो
उसका अपना स्वाभिमान हो
अपनी तरह से जीने की
कबीर, सांकृत्यायन, निराला, नागार्जुन की तरह
जहाँ हिंदी उस ज्वारभाटा की तरह है 
जिसमें भाषाओं को पचाने की ताक़त है
जिसकी अपनी संस्कृति है अपनी पहचान है
नामवर का नाम है
गोलेंदर का ज्ञान है
यहाँ आगत-विगत 
सुर-असुर
सभ्य-असभ्य सबका सम्मान है
क्योंकि हिंदी महान है।
यह हमें शुद्ध-शुद्ध बोलना
शुद्ध-शुद्ध लिखना-पढ़ना सिखाती है
जीवन की झाड़ से 
कुसुम-किसलय में लाती है
यह हिंदी की माटी है
हिंद की थाती है।


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