ये गणराज गणेश गजानन, देव हमारे हैं।
मन की आशा पूरी होगी, देव पधारे हैं॥
भादो शुक्ल चतुर्थी जन्में, गणपति स्वागत हैं।
एक नज़र डालो अब तेरी, हम शरणागत हैं॥
तेरी राहों में हमने तो, नैन बिसारे हैं।
ये गणराज गणेश गजानन, देव हमारे हैं॥
पूजा तेरी सबसे पहले, जग में होती है।
तीन जगत में तेज़ सभी से, तेरी ज्योति है॥
नाम तुम्हारा लें तो होते, काम हमारे हैं।
ये गणराज गणेश गजानन, देव हमारे हैं॥
भाल चमकता चाँद की तरह, मुख सम मोती है।
एकदन्त की असवारी तो, मूषक होती है॥
गौरीसुत ये शंकर नंदन, हमको प्यारे हैं।
ये गणराज गणेश गजानन, देव हमारे हैं॥
कमल पुरोहित 'अपरिचित' - कोलकाता (पश्चिम बंगाल)