मैय्या तेरी पार्वती है,
तू शिव का है राजकुमार।
हे गणपति! हे नाथ गजानन!,
सुन लो अब मेरी पुकार।
तुमने जाने कितने जन तारे,
हम है नाथ अब तेरे सहारे।
मेरी नैया का तू ही खिबईया,
सब छोड़ दिया है तेरे हवाले।
प्रथम पूज्य हे नाथ गजानन!,
तुम ही जग का आधार।
मूसकराज की तेरी सवारी,
तेरी महिमा बड़ी निराली।
द्वार पर तेरे खड़ा सावली,
भर दो मेरी झोली खाली।
तेरे दर पे देखो बप्पा,
है भक्तों की भरमार।
नैन आस लगाए हुए हैं,
हम जग के ठुकराए हुए है।
फिर भी तुमको सदा पुकारा,
ठोकर ही ठोकर खाए हुए है।
शिव के तनय गौरी के नंदन,
कर लो विनती स्वीकार।
शिव का तो अभिमान है गणपति,
माँ गौरी का वरदान है गणपति।
अब देर करो न हे नाथ! हमारे,
ये अम्बर तो है बस तेरे सहारे।
करो लेखनी मेरी सार्थक,
तो हो जाए उद्धार।
अनूप अम्बर - फ़र्रूख़ाबाद (उत्तर प्रदेश)