संदेश
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - निबंध - भारतेंदु हरिश्चंद्र
आज बड़े आनन्द का दिन है कि छोटे से नगर बलिया में हम इतने मनुष्यों को एक बड़े उत्साह से एक स्थान पर देखते हैं। इस अभागे आलसी देश में जो क…
पन्द्रह अगस्त - त्रिभंगी छंद - संजय राजभर 'समित'
आ जोड़ ले हस्त, पन्द्रह अगस्त, शुभ दिन अपना, आया है। स्वतंत्रता का दिन, शहीद अनगिन, तब जाकर यह, पाया है। ऑंखें भर आती, याद दिलाती,…
राष्ट्र प्रेम - कविता - राजेश 'राज'
सब भारत माँ के सपूत हैं, जाति धर्म में न बँट पाएँ। भारत माता की जय बोलो राष्ट्रधर्म हित सब जुट जाएँ। अनेकता में भरके एकता, जन जन गर्वि…
काला पानी - कविता - अनूप अंबर
काला पानी सुनो कथा काला पानी, आज़ादी के ख़ातिर दे दी अपनी क़ुर्बानी। नमन आज करते हम उनको, जिनको लेखनी न लिख पाई। गुमनाम फाँसी पर झूल गए, …
छाप देते चरण निज जो - कविता - रमेश चन्द्र यादव
छाप देते चरण निज जो, काल के कपाल पर। थिरकते है पग जिनके, ताण्डव की सुरताल पर। नमन करती लेखनी जो, लिखते जय भाल पर। माताएँ गर्व करती सदा…
यह जो स्वतंत्रता दिवस है - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
यह जो स्वतंत्रता दिवस है। कितने जीवन भूनने पर, और कितने घर फूँकने पर, दृशित यह वरदान हुआ। सुभाष की आशा का, बिस्मिल की भाषा का। गुंजित …
देशभक्त है हम भारत के - कविता - गणपत लाल उदय
हिम्मत व हौसला रखतें है हम भारतीय नौजवान, इसी का नाम है ज़िन्दगी चलते-रहते वीर जवान। निराशा की कभी ना सोचते और नहीं खोते आस, सिर ऊपर प…
आज़ादी - कविता - गणेश भारद्वाज
आओ मिलकर नमन करें हम, माँ भारत के उन हीरों को। राष्ट्र हित बलिदान हुए जो, आज़ादी के उन वीरों को। भारत को सकल बनाने की, सर्व प्रथम जिसन…
पन्द्रह अगस्त - मुक्तक - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
पन्द्रह अगस्त की पावन वेला झण्डा गृह फहराओ, वीर शहीदों की समाधि में जा घृत दीप जलाओ। उठो 'अंशुमाली' बोलो तुम जय-जय भारत माता– …
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी (25 दिसम्बर 1924 - 16 अगस्त 2018) भारतीय राजनीतिक नेता और भारतीय जनता पार्टी (भा॰ज॰पा॰) के सदस्य थे। उन्होंने भारती…
अमृतकाल के पाँच प्रण - कविता - आर्तिका श्रीवास्तव
आज हम यह प्रण करेंगे, देश का मंथन करेंगे। आज़ादी के सौ बरस को, अमृत का उत्सव कहेंगे। १. विकसित देश का लक्ष्य अपनी वाचा और तन से, हम कर…
स्वतंत्रता दिवस - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
क़ुर्बानी का प्रतिमान शान स्वतंत्रता दिवस बहु पावन है। अरमानों का सोपान मान आज़ादी जन मनभावन है। उन्मुक्त उड़ानें ख़ुशियाँ मन मुस्कान खिल…
आज़ादी - कविता - उस्मान खान
नन्हे मुन्ने बच्चे हैं दाँत हमारे कच्चे हैं, हम भी लड़ने जाएँगे कट जाएँगे, मर जाएँगे, भारत की शान बढ़ाएँगे। आज़ादी को हमने पाया, बड़े-ब…
कितने वीर क़ुर्बान हुए - कविता - डॉ॰ कंचन जैन 'स्वर्णा'
आज़ादी की ख़ातिर कितने वीर क़ुर्बान हुए, कितनों ने अपने घर के दीए खोए, कितने ही शहीद हुए। यूँ ही नहीं मिली आज़ादी, हे भारतवासीयों! कितनी ह…
सीमा के पहरुओं - मुक्तक - श्याम सुन्दर अग्रवाल
1 ओ नेफ़ा के रक्षक जवान, ओ हिमगिरि पर भारत की शान, ओ सीमाओं के पहरेदारो, कर रहा देश तुमको प्रणाम। 2 तुम लिए शस्त्र, पर शांतिदूत, तुम बढ…
मेरी माटी देश मेरा ये - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
मेरी माटी देश मेरा ये, हमे जान से प्यारा है। भारत माँ का बच्चा-बच्चा, इस पर जाँ दिल हारा है। सदियों से ये सोंधी माटी, रत्न उगलती आई है…
या मकानों का सफ़र अच्छा रहा - ग़ज़ल - डॉ॰ राकेश जोशी
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती : 2122 2122 212 या मकानों का सफ़र अच्छा रहा, या ख़ज़ानों का सफ़र अच्छा रहा। जो ज़बाँ लेकर चले …
आरक्षण - कविता - डॉ॰ अबू होरैरा
एक दर्द यह भी, नहीं कोई हमदर्द भी। मैं जुम्मन 'अंसारी' वह सुरेश 'कोरी' दोनों एक दूसरे के दलित पड़ोसी। दोनों का पेशा एक,…
ऐ युवा देश के जागो! - कविता - रूशदा नाज़
ऐ युवा देश के जागो! तुम कब तक सोते रहोगे? माशरे में हो रहा क्या? कब तक अनभिज्ञ रहोगे? तुझे कोई ख़बर नहीं, कुछ भी असर नहीं, तू डूबा फ़ोन,…
न अपनों को सताओ - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
अरकान : फ़ाइलुन फ़ाइलात तक़ती : 212 2121 न अपनों को सताओ, क़सम से मान जाओ। भले इक ख़्वाब बनकर, कभी तो याद आओ। कभी आकर अचानक, अजी कुछ तो सु…
मैथलीशरण गुप्त: एक योद्धा - आलेख - डॉ॰ अर्चना मिश्रा
मैथिलीशरण गुप्त आधुनिक युग के कवि माने गए। गुप्त जी को सिर्फ़ कवि कहना ही काफ़ी नहीं होगा, ये एक युगकवि कहलाए। इनका साहित्य, साहित्य क…
राम - सवैया छंद - सुशील कुमार
राम के नाम सा नाम नहीं जग संत कहें श्रुति चारि बखानी, राम कथानक राम स्वयं बिन राम नहीं कहीं राम कहानी। राम बिना नहिं राम कहीं बस राम…
तुम अजेय हो - कविता - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
सुनो! स्वयं के विश्वासों पर, ही जगती में टिक पाओगे। गांँठ बाँध लो मूल मन्त्र है, यही अन्यथा मिट जाओगे॥ साहस-शुचिता से भूषित तुम, धरत…
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